प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
महाराष्ट्र में चल रही महत्वपूर्ण परियोजनाओं में देरी की प्रमुख वजह भूमि अधिग्रहण में हो रही देरी है। समय में परियोजनाएं पूरी न होने के कारण लागत बढ़ जाती है । अटकी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए सभी संबंधित विभागों को राज्य सरकार ने निर्देश दिये हैं कि राज्य में सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण निर्धारित समय के अनुसार पूरा किया जाए ताकि भूमि अधिग्रहण के कारण कोई भी परियोजना का काम न रुके और समय पर काम पूरा हो सके।
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राज्य में प्रस्तावित लाखों करोड़ रुपये की परियोजनाओं का समय पर पूरा होना मुश्किल लग रहा है क्योंकि भूमि अधिग्रहण में हो रही देरी के कारण इन परियोजनाओं का काम अटकता नजर आ रहा है। इन परियोजनाओं में नागपुर – गोवा शक्तिपीठ राजमार्ग , विरार – अलीबाग कॉरिडोर , जालना -नांदेड़ एक्सप्रेसवे, पुणे रिंग रोड पूर्व , पश्चिम और विस्तार , भंडारा – गढ़चिरौली एक्सप्रेसवे , नागपुर – चंद्रपुर एक्सप्रेसवे , नागपुर-गोंदिया एक्सप्रेसवे, नवेगांव (मोड़) -सुरजागड मिनरल कॉरिडोर , वढन- इगतपुरी एक्सप्रेसवे सहित राज्य में सड़क परियोजनाओं के भूमि अधिग्रहण के साथ-साथ वर्धा-नांदेड़ , वर्धा – गढ़चिरौली रेलवे परियोजनाओं और कोल्हापुर , कराड , अकोला , गढ़चिरौली और छत्रपति संभाजीनगर में हवाई अड्डों के भूमि अधिग्रहण का अभी तक पूरा नहीं हो सका है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा करने के बाद भूमि अधिग्रहण के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं । परियोजना में देरी के कारण इसकी लागत में भारी वृद्धि होने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के लिए सभी एजेंसियों को समय-सीमा दी गई है। इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। सभी एजेंसियों और संबंधित अधिकारियों को मिशन मोड पर काम करने को कहा गया है । भूमि अधिग्रहण के काम को गंभीरता से लेते हुए इस काम को तुरंत पटरी पर लाना होगा ।
शक्तिपीठ महामार्ग की योजना को तेजी से पूरा करना होगा । जिससे कम से कम वन भूमि प्रभावित हो। इस सड़क के भूमि अधिग्रहण के लिए वित्त विभाग को 12 हजार करोड़ रुपये का निधि उपलब्ध कराने को कहा गया है। विरार अलीबाग कॉरिडोर के मोरबे से करंजा खंड में वन भूमि और मैंग्रोव वन होने के कारण आवश्यक अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जानी चाहिए। साथ ही, इस परियोजना के लिए अनुमति प्राप्त करते समय, प्रशासनिक प्रक्रिया समानांतर रूप से जारी रखी जानी चाहिए। इस प्रकार, काम को गति दी जा सकती है। सागरमाला योजना में वधान-इगतपुरी एक्सप्रेसवे को शामिल करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाना चाहिए। परभणी जिले के सेलू में जालना-नांदेड़ एक्सप्रेसवे की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया 15 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए । विदर्भ के सभी एक्सप्रेसवे जैसे भंडारा- गढ़चिरौली , नागपुर- चंद्रपुर , नागपुर-गोंदिया की योजनाओं को गति पर चलाकर अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। वर्धा-गढ़चिरौली और वर्धा -नांदेड़ रेलवे लाइनों के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया 15 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए और काम शुरू किया जाना चाहिए।
राज्य में हवाई अड्डे की परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए दिए मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि गढ़चिरौली हवाई अड्डे का ओएलएस किया जाना चाहिए और इसका प्रस्ताव गढ़चिरौली जिला कलेक्टर द्वारा भेजा जाना चाहिए। इस बीच, अकोला में हवाई अड्डे के रनवे की लंबाई 2400 मीटर तक बढ़ाई जाएगी। अकोला में एक सुंदर और आधुनिक और साथ ही बड़ा हवाई अड्डा बनेगा । राज्य में 11 महत्वपूर्ण परियोजनाओं के भूमि अधिग्रहण के लिए आवश्यक 53 हजार 354 करोड़ रुपये का निधि उपलब्ध कराया जाना चाहिए।