संसद में भाषण देती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण | फोटो: संसद टीवी
Income Tax Bill 2025: लोक सभा ने आयकर संबंधी नए विधेयक को बिना किसी चर्चा के तीन मिनट में ही ध्वनिमत से आज पारित कर दिया। यह आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा। गैर-कॉरपोरेट करदाताओं को राहत देते हुए सरकार ने मसौदे में पहले की त्रुटि में सुधार किया है। साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत संशोधित आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 के तहत साझेदारी वाली फर्मों और सीमित दायित्व भागीदारी (एलएलपी) को वैकल्पिक न्यूनतम कर (एएमटी) से राहत दी गई है। विधेयक के संशोधित संस्करण में बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें शामिल की गई हैं।
लोक सभा ने कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 भी पारित किया, जिसमें नई एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के लिए कर राहत प्रदान की गई है। इसके साथ ही सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोष को कर लाभ बढ़ाया गया है और कर तलाशी के बाद ब्लॉक मूल्यांकन के नियमों को स्पष्ट किया गया है।
अब ये विधेयक मंजूरी के लिए राज्य सभा में जाएंगे और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद कानून बन जाएंगे।
गैर-कॉरपोरेट करदाताओं से उपकर और अधिभार के अलावा 18.5 फीसदी की दर से एएमटी वसूला जाता है। इसे यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है कि उच्च आय वाले लोग महत्त्वपूर्ण कर छूट का लाभ उठाकर अपने कर दायित्वों से बच न सकें। हालांकि दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ आय वाले एलएलपी को 12.5 फीसदी कर देना पड़ता है। विधेयक के पिछले संस्करण में एलएलपी के लिए एएमटी नियमों में अध्याय VI-ए की कटौतियों का एक महत्त्वपूर्ण संदर्भ हटा दिया गया था। इसका मतलब यह होता कि सभी तरह के एलएलपी पर उपकर और अधिभार के अलावा 18.5 फीसदी की दर से एएमटी लगाया जा सकता था। इस सुधार से संदर्भ को संशोधित आयकर विधेयक, 2025 के खंड 206 में शामिल किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि एएमटी तभी लागू होगा जब कुल आय में ऐसी कटौतियां शामिल हों।
प्रवर समिति ने 285 से अधिक सुझाव दिए मगर उसने फरवरी में सदन में पेश किए गए मूल आयकर विधेयक में निहित एलएलपी के लिए एएमटी प्रावधानों में कोई बदलाव का प्रस्ताव नहीं किया था। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है, ‘प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गई हैं।