आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उनकी हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को काम पर लौटने की ममता बनर्जी की अपील पर राजनीति तेज हो गई है। भाजपा ने इसे डॉक्टरों को धमकी देने वाला बयान बताया है, वहीं मामला गर्माते देख बनर्जी ने सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने सरकारी अस्पतालों के कनिष्ठ चिकित्सकों को कोई धमकी नहीं दी है। ऐसे आरोप पूरी तरह गलत और दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘मैं साफ तौर पर कहना चाहती हूं कि मैंने मेडिकल छात्रों या उनके प्रदर्शन के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला है। मैं उनके आंदोलन का पूरा समर्थन करती हूं। उनका आंदोलन जायज है। मैंने उन्हें कभी धमकी नहीं दी।’
तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद द्वारा आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने बुधवार को बंगाल के प्रदर्शनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों से तत्काल काम पर लौटने के लिए विचार करने का आग्रह किया था और कहा था कि वह हड़ताली चिकित्सकों के करियर को ध्यान में रखते हुए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करना चाहतीं। प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी को परोक्ष रूप से धमकी के तौर पर लिया और काम पर लौटने की उनकी अपील को मानने से इनकार कर दिया था।
भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया था कि बनर्जी ने विपक्ष की ओर से कथित अपमान के जवाब में अपने पुराने नारे ‘बदला नहीं, बदलाव चाहिए’ से हटते हुए विपक्षी दलों को धमकी दी है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य विधान सभा का दो-दिवसीय विशेष सत्र 2 सितंबर से बुलाया है, ताकि बलात्कार के दोषियों को मृत्युदंड के प्रावधान वाले विधेयक को पेश और पारित किया जा सके। विधान सभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने कहा कि विधेयक को 3 सितंबर को पेश किया जाएगा। यह कदम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उस घोषणा के एक दिन बाद उठाया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बलात्कार के दोषियों को मृत्युदंड के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन की जरूरत है।