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केशव महिंद्रा की सादगी थी बेमिसाल

Last Updated- April 12, 2023 | 11:22 PM IST
keshav mahindra
इलस्ट्रेशन- अजय मोहंती

केशव महिंद्रा से मेरी पहली मुलाकात एक शादी में हुई थी। मैं लबरू परिवार को कश्मीर के दिनों से जानता था और उनके बेटे सनी (संजय) की शादी केशव की बेटी लीना से होने वाली थी जो मारुति सुजूकी को आपूर्ति करने के लिए असाही इंडिया ग्लास स्थापित करने वाले थे।

उनके बारे में जिस बात ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह उनकी सादगी थी जबकि वह निश्चित रूप से उस समय देश के अग्रणी उद्योगपतियों में से एक थे और उनका काफी सम्मान था। फिर भी शादी बेहद सादगी से हुई और इस शादी में मेहमानों की सूची भी सीमित थी।

हैरानी की बात यह भी है यह शादी किसी भव्य पांच सितारा होटल में नहीं बल्कि उनके घर पर हुई थी। मुझे बाद में अहसास हुआ कि यही उनकी जीवन शैली थी जहां दिखावे वाली जिंदगी के लिए कोई गुंजाइश नहीं थी। वह उस समय के बेहद अमीर लोगों से अलहदा थे।

लबरू परिवार के साथ संबंध के कारण हम अक्सर मिलते ही रहते थे और दो महीने पहले ही एक अन्य पारिवारिक मौके पर हमलोग मिले थे। लेकिन मारुति के प्रबंध निदेश और चेयरमैन के रूप में हमारा कोई वास्तविक व्यावसायिक संबंध नहीं था। लेकिन उनकी प्रबंधन शैली ने उनकी सादगी को हमेशा ही दर्शाया।

वह अपने कर्मचारियों के करीब थे और उनके लिए दरवाजे हमेशा उनके लिए खुले हुए थे और उन्होंने उन्हें एक बड़े परिवार का हिस्सा माना। वह रिश्ते बनाने वालों में से थे और अपना कारोबार चलाने में उच्च स्तर की आचार संहिता का अनुसरण भी करते थे।

वह राहुल बजाज और अन्य लोगों के साथ मशहूर बॉम्बे क्लब का हिस्सा थे। हम तब छोटे थे और समझ नहीं पा रहे थे कि वे प्रतिस्पर्धा का विरोध क्यों कर रहे हैं, लेकिन बाद में जीवन के एक अलग मोड़ पर जब हमने इस पर विचार किया तो हमें अहसास हुआ कि वे वास्तव में क्या कर रहे थे।

उस समय इस पर सवाल था। लेकिन स्पष्ट रूप से उस समय भारतीय उद्योगपतियों के लिए कोई समान अवसर के मौके नहीं थे और वे बस ऐसी स्थिति के लिए कह रहे थे। जब हम वहां थे तब वह निश्चित रूप से सीआईआई में बहुत सक्रिय नहीं थे लेकिन मैं उनके बारे में यह कह सकता हूं कि वह पूरी तरह से पेशेवर थे। उन्होंने वास्तव में अपने दामाद को कभी सलाह नहीं दी कि अपना कारोबार कैसे चलाना है।

जब उनके भतीजे आनंद महिंद्रा ने पद छोड़ने के बाद समूह के लिए अपना रास्ता तैयार करने की कोशिश की तब उन्होंने कभी इस बात को लेकर हस्तक्षेप भी नहीं किया। बेशक उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती तब आई थी जब उन्हें अदालतों ने दो साल के कारावास के साथ दोषी ठहराया था क्योंकि जब भोपाल गैस त्रासदी हुई थी तब वह यूनियन कार्बाइड के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष थे। यह आदेश हास्यास्पद था क्योंकि एक गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के लिए यह बिल्कुल अनुचित था।

हालांकि बाद में कानून बदल दिया गया ताकि ऐसी चीजें फिर से न हो। जहां तक उनके कारोबार का सवाल है उनका मुख्य आधार ट्रैक्टर था, जिसकी बाजार में 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी थी। उन्हें बलेरो में एक बड़ी सफलता मिली जिसका डिजाइन ग्रामीण बाजारों के लिए तैयार किया गया था। उन्होंने कोशिश की कि कार कारोबार बहुत सफल नहीं था। लेकिन उन्होंने एसयूवी बाजार के निचले स्तर पर अपना बाजार बना लिया है।

(आर सी भार्गव मारुति सूजूकी के चेयरमैन हैं। सुरजीत दास गुप्ता के साथ बातचीत पर आधारित)

First Published - April 12, 2023 | 11:22 PM IST

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