अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल करने या वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की शुरुआत जैसी प्रमुख पहल के साथ जी20 के नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के बहुचर्चित अंतिम परिणाम दस्तावेज में भारत की पूरी छाप नजर आ रही है।
जी20 के विभिन्न मंचों और कार्यसमूहों में बड़ी संख्या में उन पहलों को स्वीकार किया गया है, जो पिछले एक साल के दौरान चली हैं और उन्हें घोषणा में जगह मिल सकी है।
इसमें खाद्य सुरक्षा पर डेक्कन हाई लेवल प्रिंसिपल्स, पर्यटन के लिए गोवा खाके और एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए जयपुर में किया गया आह्वान शामिल हैं। जी20 के अधिकारियों ने कहा कि इनमें से पहली पहल का विचार भारत की अध्यक्षता में आयोजित वॉयस आफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में आया था, जो भारत की अध्यक्षता के पहले आयोजित हुआ था। भारत ने इसके लिए 125 कम विकसित देशों और उभरते बाजारों से राय ली थी और खाद्य सुरक्षा उनकी साझा चिंता थी।
अफ्रीकी संघ ने डेक्कन हाई लेवल प्रिंसिपल में खाद्य सुरक्षा को लेकर मुखर आवाज उठाई थी। इसमें मानवीय सहायता, खाद्य उत्पादन बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम, जलवायु के अनुकूल तरीके अपनाने, कृषि खाद्य व्यवस्था में समावेशिता, एक स्वास्थ्य का नजरिया, कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण, कृषि क्षेत्र में दायित्वपूर्ण सार्वजनिक व निजी निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया था।
MSME की सूचना तक पहुंच बढ़ाने के लिए जयपुर कॉल फॉर ऐक्शन के तहत अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र जिनेवा से लेकर अंकटाड और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से परामर्श कर एक विस्तृत कार्ययोजना पर काम करने का आह्वान किया गया है। इसका मकसद एमएसएमई को सूचना की कमी की समस्या के समाधान के लिए वैश्विक व्यापार हेल्पडेस्क विकसित करना है। वैश्विक जीडीपी में एमएसएमई की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत और रोजगार में हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत है।
इसमें भारत के वन फ्यूचर अलायंस (ओएफए) के प्रस्ताव को भी शामिल किया गया है, जो कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों की क्षमता बनाने, तकनीकी सहायता प्रदान करने और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के लिए रकम जुटाने में मदद करने की एक स्वैच्छिक पहल है।
सम्मेलन के लिए सतत विकास को लेकर भारत के समग्र दृष्टिकोण के अनुरूप भारत समर्थित कई पहल निरंतर लेकिन व्यावहारिक विकास पर केंद्रित रही हैं।
टिकाऊ और ठोस ब्लू इकॉनमी पर पर्यावरण समूहों ने खासकर चेन्नई हाई लेवल प्रिंसिपल्स पर जोर दिया। इसमें तटीय व समुद्री प्रदूषण के समाधान पर जोर दिया गया है, जिसमें प्लास्टिक, वायु प्रदूषण व अन्य मौजूद प्रदूषणकारी चीजों से बचने का आह्वान किया गया है। इसमें अनियंत्रित दोहन और अवैध गतिविधियां भी शामिल हैं, जो समुद्री पर्यावरण को प्रभावित करती हैं।
काउंसिल आन एनर्जी, एनवायरनमेंट ऐंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के सीईओ अरुणाभ घोष ने कहा कि इसमें समुद्री जलवायु व्यवस्था को नियमित करने में हमारी भूमिका को संज्ञान में लिया गया है, साथ ही यह समझने की कवायद की गई है कि हमारे समुद्र आधारित संसाधन का सतत इस्तेमाल बना रहे।
भूमि सुधार के लक्ष्यों के लिए गांधीनगर कार्यान्वयन खाके का मकसद जंगल में आग लगने की घटनाओं से प्रभावित इलाकों व खनन से प्रभावित इलाकों को बहाल करना है।
जी20 ग्लोबल लैंड इनीशिएटिव (जीएलआई) लागू करने के लिए इस खाके को शामिल किया गया है। स्वैच्छिक आधार पर यह आह्वान किया गया है कि सभी देश 2030 तक इस तरह की खराब हुई जमीन की प्रभावी तरीके से बहाली करें।
ऐसे समय में जब कोरोना के बाद कई देश पर्यटन को लेकर जूझ रहे हैं, पर्यटन के लिए गोवा रोडमैप में स्थायी पर्यटन, हरित पर्यटन, डिजिटलीकरण, कौशल, पर्यटन एसएमई और गंतव्य प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।