facebookmetapixel
देशभर में मतदाता सूची का व्यापक निरीक्षण, अवैध मतदाताओं पर नकेल; SIR जल्द शुरूभारत में AI क्रांति! Reliance-Meta ₹855 करोड़ के साथ बनाएंगे नई टेक कंपनीअमेरिका ने रोका Rosneft और Lukoil, लेकिन भारत को रूस का तेल मिलना जारी!IFSCA ने फंड प्रबंधकों को गिफ्ट सिटी से यूनिट जारी करने की अनुमति देने का रखा प्रस्तावUS टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, IMF का पूर्वानुमान 6.6%बैंकिंग सिस्टम में नकदी की तंगी, आरबीआई ने भरी 30,750 करोड़ की कमी1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरीICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धताIKEA India पुणे में फैलाएगी पंख, 38 लाख रुपये मासिक किराये पर स्टोर

पाक में जल संकट की आहट! सिंधु जल संधि स्थगित हो जाने से पाकिस्तान पर क्या असर पड़ सकता है?

विश्व बैंक की मध्यस्थता के तहत 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।

Last Updated- April 24, 2025 | 10:54 PM IST
Indus River
लद्दाख में सिंधु नदी पर एक पुल | फोटो क्रेडिट: Commons

भारत की ओर से सिंधु जल संधि को स्थगित करने का पाकिस्तान पर व्यापाक असर पड़ेगा। जल विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के अनुसार इसका पड़ोसी देश के कृषि उत्पादन, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा आपूर्ति पर दीर्घकालिक प्रभाव देखने को मिल सकता है। भारत बिना किसी दायित्व के सिंधु जल संधि की जरूरतों को पूरा करने के लिए सिंधु घाटी से जुड़ी नदियों पर खुद अपने बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। इसलिए भारत पड़ोसी देश में पानी के प्रवाह को रोकने के लिए कदम उठा सकता है।

केंद्रीय जल आयोग के एक पूर्व चेयरमैन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘जल की आपूर्ति को तत्काल बंद नहीं किया जा सकता है क्योंकि संधि में शामिल नदियां जबरदस्त प्रवाह वाली नदियां हैं। हमारे पास इतनी मात्रा में जल को रोकने के लिए फिलहाल पर्याप्त बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं है। मगर जब भारत अपने इलाके में जलाशयों का निर्माण करेगा तो जल का प्रवाह रुक सकता है क्योंकि अब सिंधु जल संधि का पालन करने की कोई बाध्यता नहीं है।’ पूर्व चेयरमैन ने कहा कि जब नदियां पूरे प्रवाह में होंगी तो पाकिस्तान को कोई खास परेशानी नहीं होगी। मगर सिंधु घाटी से जुड़ी नदियों में जल स्तर कम होने पर पाकिस्तान के लिए परेशानी बढ़ सकती है। दो प्रमुख जलाशयों में जल स्तर 23 अप्रैल तक निचले स्तर से थोड़ा ऊपर है। इन जलाशयों में बिजली उत्पादन की काफी क्षमता है। अधिकारी ने कहा, ‘इसका मुख्य कारण यह है कि भारत की ही तरह पाकिस्तान में भी मॉनसून के बाद की बारिश अच्छी नहीं हुई। इसलिए प्रमुख नदियों को पहाड़ों से बर्फ पिघलने पर निर्भर रहना पड़ा।’

अगर भारत सिंधु जल संधि को स्थगित करने के अपने फैसले के तहत पाकिस्तान को बाढ़ एवं प्रवाह संबंधी अन्य सूचनाएं साझा करना बंद कर देता है तो पाकिस्तान को नदियों और उनके जल स्तर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाएगी। इससे उसकी परेशानी बढ़ जाएगी। 

विश्व बैंक की मध्यस्थता के तहत 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस संधि को दुनिया का एक सबसे टिकाऊ सीमा पार जल समझौता माना जाता है।

यह संधि सिंधु घाटी की छह नदियों को दोनों देशों के बीच बांटती है। समझौते के अनुसार भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, व्यास और सतलुज) पर पूरा नियंत्रण मिला है, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम और चिनाब) मिली हैं। पाकिस्तान में बहने वाली तीन नदियां- सिंधु, झेलम और चिनाब- साझा घाटी में प्रवाहित जल का करीब 80 फीसदी हिस्सा हैं।

समझौते के अनुसार भारत को पनबिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब के जल का उपयोग करने का अधिकार है। मगर वह कोई ऐसा कोई ढांचा नहीं बना सकता जो इन तीनों नदियों के बहाव को मोड़ दे या प्रभावित करे। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है तो ये तीनों नदियां वास्तव में उसकी जीवन रेखाएं हैं। इन नदियों से न केवल उसके कपास और धान की सिंचाई होती है बल्कि उसके बागवानी उत्पादन के बड़े हिस्से के लिए सिंचाई की सुविधा भी इन्हीं नदियों से मिलती है। 

अधिकारी ने बताया, ‘सिंधु जल संधि को निलंबित करने से भारत को तीनों पश्चिमी नदियों पर कितनी भी परियोजनाएं स्थापित करने की आजादी मिल गई है। इन परियोजनाओं से पाकिस्तान की ओर जल के बहाव को रोका जा सकेगा।’

First Published - April 24, 2025 | 10:36 PM IST

संबंधित पोस्ट