भारत वर्ल्ड बैंक के वैश्विक महामारी कोष से करीब 5.5 करोड़ डॉलर चाहता है। सूत्रों ने बताया कि इसके लिए वर्ल्ड बैंक से अनुरोध किया भी जा चुका है। यह कोष कोविड-19 महामारी आने के बाद राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्तर पर वैश्विक महामारी की रोकथाम, बचाव की तैयारी एवं राहत उपायों के लिए जरूरी निवेश के वास्ते रकम मुहैया कराने के मकसद से किया गया था। यह मुख्य तौर पर निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के लिए है।
सूत्रों ने कहा कि भारत ने मानव वैश्विक महामारी के साथ-साथ पशुओं से होने वाली वैश्विक महामारी यानी दोनों से लड़ने के लिए रकम उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पशुओं से होने वाली वैश्विक महामारी के खतरे के बारे में हाल में चिंता जताई गई है। इसकी उत्पत्ति पशुओं और पशुधन में देखी गई है। इसलिए पशुओं में इस प्रकार की बीमारियों की निगरानी और रोकथाम भी उतनी ही जरूरी है, जितनी मानव में।
वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ज्यादातर जूनोटिक (पशु से मानव और मानव से पशु को होने वाले) रोग पशुओं में ही शुरू हुए थे। यहां तक कि घातक कोविड-19 वैश्विक महामारी का संक्रमण सबसे पहले चीन में चमगादड़ों के भीतर पाया गया था। सूत्रों ने कहा कि भारत भविष्य में कोविड-19 या सार्स जैसी किसी भी वैश्विक महामारी या स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को संकल्पबद्ध है।
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इस कोष की वेबसाइट के अनुसार इसके संचालन बोर्ड ने विकासशील देशों को भविष्य में वैश्विक महामारियों से निपटने के लिए बेहतर तैयारी के वास्ते पहले दौर में 30 करोड़ डॉलर को मंजूरी दी है। वैश्विक महामारी कोष में विभिन्न दानकर्ताओं ने करीब 1.6 अरब डॉलर दिए हैं। इनमें अमेरिका और यूरोपीय संघ सबसे आगे हैं।
सितंबर, 2022 में बनाया गया यह कोष दान देने वाले विभिन्न देशों, रकम हासिल करने के लिए पात्र देशों, फाउंडेशन एवं नागरिक समाज संगठनों के बीच वैश्विक महामारी की रोकथाम, उसकी तैयारियों और उससे निपटने की क्षमताओं को बेहतर करने के लिए आवश्यक निवेश का साझा सहयोग है। इसके तहत निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्तर पर सहयोग किया जाता है।
वर्ल्ड बैंक इस वैश्विक महामारी कोष का ट्रस्टी है। इसका सचिवालय वहीं स्थित है, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से आए तकनीकी कर्मचारी भी शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जापान के हिरोशिमा में आयोजित G7 नेताओं के शिखर सम्मेलन में इस वैश्विक महामारी कोष में अतिरिक्त 25 करोड़ डॉलर का योगदान देने की बात कही है।
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वैश्विक महामारी कोष 3 मार्च, 2023 को अपना पहला कॉल फॉर प्रपोजल (CFP) लाया था। यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनैशनल डेवलपमेंट द्वारा जारी हालिया विज्ञप्ति के अनुसार वैश्विक महामारी कोष के लिए साझेदारों ने कुल 166 करोड़ डॉलर का योगदान किया है। अमेरिकी सरकार ने इसमें 45 करोड़ डॉलर दिए हैं।
रकम जमा करने के लिए पोर्टल 1 मई को खुलकर 19 मई, 2023 को बंद हो गया। कुछ महीने पहले तक इसके लिए वादा करने वालों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, यूरोपीय आयोग, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका, बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन और वेलकम ट्रस्ट शामिल हैं।
इस बीच, भारत में मवेशियों पर कहर बरपाने वाले लंपी रोग का खतरा दोबारा दिखने लगा है। उत्तराखंड, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 18 मई तक लंपी रोग के संक्रमण के करीब 10,413 सक्रिय मामले सामने आए थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जनवरी 2023 के बाद देश के आठ शहरों में इस रोग के संक्रमण की पहचान हुई है। मगर पिछले कुछ सप्ताह में इसके संक्रमण में तेजी आई है। संक्रमण में तेजी रोकने के लिए बड़े पैमाने पर दूसरे दौर का टीकाकरण अभियान चलाया गया है। जनवरी 2023 के बाद दूसरे दौर के टीकाकरण के तहत पशुओं को कुल करीब 18.7 लाख खुराक दी जा चुकी हैं।