जलवायु परिवर्तन के अंतरसरकारी पैनल में शामिल रहे भारत के वैज्ञानिकों ने कहा कि बीती सदी के दौरान ग्लोबल वार्मिंग में भारत का योगदान न्यूनतम रहा लेकिन भारत ने जलवायु परिवर्तन के सबसे ज्यादा जोखिमों में से एक गर्म हवाओं से लेकर चक्रवातों का सामना किया। इससे भारत की शहरी और ग्रामीण आबादी को विस्थापन झेलना पड़ा।
उन्होंने कहा कि भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अमीर देशों से जलवायु के लिए धन जुटाना एकमात्र स्रोत नहीं होना चाहिए और भारत को जलवायु के लिए धन मुहैया कराने के अन्य विकल्पों पर भी ध्यान देना चाहिए।’’
अंतरराष्ट्रीय कृषि शोध परामर्शकारी समूह (सीजीआईएआर) के जलवायु परिवर्तन प्रभाव मंच की अदिति मुखर्जी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने के लिए विश्व को सहयोग और धन जुटाने की आवश्यकता है। इस समूह ने जलवायु के लिए धन जुटाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बेहतर सहयोग पर जोर दिया है। अदिति मुखर्जी ने आईपीसीसी एआर6 के कार्यकारी समूह की अध्यक्षता की थी।