प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि देश में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये की लागत से नौसेना के लिए 60 बड़े जहाजों का निर्माण चल रहा है। इस निवेश से अर्थव्यवस्था को करीब 3 लाख करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा और इसके कारण रोजगार में छह गुना बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जहाज के निर्माण से 14,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के मौके तैयार होंगे।
मोदी ने यह टिप्पणी मुंबई में मौजूदा नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना के तीन प्रमुख युद्धपोतों, आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद की। ऐसा पहली बार था जब तीन प्रमुख युद्धपोतों को एक साथ नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। इन तीनों युद्धपोतों का निर्माण भारत में हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘देश में ‘मेक इन इंडिया’ पहल से न केवल देश के सैन्य बलों की क्षमता बढ़ रही है बल्कि इससे आर्थिक प्रगति के लिए नए विकल्प खोले जा रहे हैं।’ रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, मोदी ने देश में जहाजों के निर्माण की मिसाल देते हुए कहा कि विशेषज्ञों का अनुमान है कि जहाज निर्माण में निवेश किए गए प्रत्येक रुपये का दोगुना आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
प्रधानमंत्री ने 60 बड़े जहाजों के निर्माणाधीन होने की बात के साथ इस बात पर जोर दिया कि जहाजों के अधिकांश पुर्जे घरेलू सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) से लिए जा रहे हैं और एक जहाज के निर्माण से करीब 2,000 कामगार जुड़े होते हैं और इससे अन्य उद्योगों के लिए रोजगार के करीब 12,000 मौके तैयार होते हैं खासतौर पर एमएसएमई क्षेत्र के लिए। हालांकि उन्होंने निर्माणाधीन जहाजों को विशेषतौर पर युद्धपोत नहीं कहा लेकिन भारतीय नौसेना दिसंबर तक भारतीय शिपयार्ड में 60 ऐसे जहाज तैयार कर रही थी।
21वीं सदी के लिए भारतीय सेना को आधुनिक बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए मोदी ने कहा, ‘भूमि, जल, वायु, गहरा समुद्र या अनंत अंतरिक्ष हो, भारत हर जगह अपने हितों की रक्षा कर रहा है।’ उन्होंने परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित करने और थियेटर कमान की दिशा में बढ़ने जैसे मौजूदा सुधारों पर जोर दिया। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के अनुरूप प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सशस्त्र बलों ने 5,000 से अधिक वस्तुओं और उपकरणों की पहचान की जिनका अब आयात नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कर्नाटक में भारत की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर विनिर्माण केंद्र की स्थापना और सशस्त्र बलों के लिए एक परिवहन एयरक्राफ्ट फैक्टरी की स्थापना का जिक्र भी किया। उन्होंने घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा कॉरिडोर की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने नौसेना के ‘मेक इन इंडिया’ की प्रगति पर संतोष जताते हुए कहा कि पिछले दशक में 33 जहाजों, 7 पनडुब्बियों नौसेना के बेड़े में शामिल हुए हैं और नौसेना के 40 जहाजों में से 39 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में हुआ जिनमें विमान वाहक आईएनएस विक्रांत और परमाणु पनडुब्बियां जैसे कि आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि सालाना घरेलू रक्षा उत्पादन 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और सैन्य उपकरणों का निर्यात 100 से अधिक देशों में किया जा रहा है तथा उन्होंने लगातार समर्थन के कारण देश के रक्षा क्षेत्र में तेज बदलाव को लेकर भी आत्मविश्वास जताया।
इसी कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर को नौसेना के बेड़े में शामिल करने को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह भारतीय नौसेना और हिंद महासागर क्षेत्र में राष्ट्र की बढ़ती ताकत का प्रमाण है। उन्होंने आत्मनिर्भरता के प्रति रक्षा मंत्रालय की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरि की 75 फीसदी से अधिक सामग्री देश में ही तैयार की गई है और अन्य मंचों पर भी स्थानीय सामग्री तेजी से बढ़ रही है।
वर्ष 2025 को रक्षा मंत्रालय के लिए ‘सुधारों का वर्ष’घोषित करते हुए सिंह ने कहा कि मंत्रालय में आवश्यक सुधारों पर अमल किया जाएगा। उन्होंने यह भरोसा जताया कि साल के अंत तक इनमें से कई सुधार लागू हो जाएंगे जिससे भारत का रक्षा क्षेत्र मजबूत होगा। 2025 के एजेंडे के तहत ही रक्षा मंत्रालय ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया को सामान्य और समयबद्ध करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि तेजी से क्षमता विकास किया जा सके। दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने यह घोषणा की थी कि रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 में अगले साल पूरा बदलाव किया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को सभी तीनों युद्धपोतों का ब्योरा मुहैया कराया जिनमें पी15बी गाइडेड मिसाइल विध्वंसक परियोजना का चौथा और अंतिम युद्धपोत आईएनएस सूरत, दुनिया के सबसे बड़े और अत्याधुनिक विध्वंसक में शामिल है और इसमें 75 फीसदी देसी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और इसमें हथियारों की पहचान के लिए अत्याधुनिक सेंसर तंत्र और नेटवर्क केंद्रित क्षमताएं भी हैं। आईएनएस नीलगिरि परियोजना पी17ए स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना का पहला जहाज है जिसे भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है।
यह आधुनिक विमानन सुविधाओं से लैस है और इसमें गोपनीय तरीके से जाने की क्षमता है और यह अगली पीढ़ी के देसी युद्धपोत का प्रतिनिधित्व करता है। आईएनएस वाघशीर स्कॉर्पीन श्रेणी की परियोजना पी75 के तहत छठा और अंतिम युद्धपोत है। यह भारत में पनडुब्बी निर्माण में बढ़ती विशेषज्ञता को दर्शाता है और इसे फ्रांस के नेवल समूह के सहयोग से बनाया गया है।