राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए गुरुवार को देश एवं सशस्त्र बलों के फौलादी संकल्प की सराहना की और कहा कि यह अभियान आतंकवाद के खिलाफ मानवता की लड़ाई में एक मिसाल के तौर पर इतिहास में दर्ज होगा। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्होंने भारत की इस सामरिक सफलता के साथ ही आर्थिक विकास, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, राष्ट्रीय खेल नीति, कल्याणकारी योजनाओं के लाभ, डिजिटल भुगतान की कामयाबी तथा एआई के क्षेत्र में सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने पहलगाम हमले की भर्त्सना करते हुए कहा कि यह कायरतापूर्ण और नितांत अमानीय कृत्य था। मुर्मू ने कहा, ‘इस वर्ष हमें आतंकवाद का दंश झेलना पड़ा। कश्मीर घूमने गए निर्दोष नागरिकों की हत्या, कायरतापूर्ण और नितांत अमानवीय थी। इसका जवाब भारत ने फौलादी संकल्प के साथ निर्णायक तरीके से दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखा दिया कि जब राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न सामने आता है तब हमारे सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम सिद्ध होते हैं। रणनीतिक स्पष्टता और तकनीकी दक्षता के साथ हमारी सेना ने सीमा पार के आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया।’ उन्होंने कहा, ‘मेरा विश्वास है कि ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवाद के विरुद्ध मानवता की लड़ाई में एक मिसाल के तौर पर इतिहास में दर्ज होगा।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘ऑपरेशन सिंदूर, प्रतिरक्षा के क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ की परीक्षा का भी अवसर था। अब यह सिद्ध हो गया कि हम सही रास्ते पर हैं। हमारा स्वदेशी विनिर्माण उस निर्णायक स्तर पर पहुंच गया है जहां हम अपनी बहुत सी सुरक्षा-आवश्यकताओं को पूरा करने में भी आत्मनिर्भर बन गए हैं। ये उपलब्धियां स्वाधीन भारत के रक्षा इतिहास में एक नए अध्याय का सूत्रपात हैं।’
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में देश के विभाजन की विभीषिका का उल्लेख करते हुए कहा, ‘हमें देश के विभाजन से हुई पीड़ा को कदापि नहीं भूलना चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में समस्याओं के बावजूद भारत पिछले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है तथा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण है और निर्यात बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत, 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर अग्रसर है। मुर्मू ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह आकांक्षा है कि वर्ष 2047 तक भारत एआई का वैश्विक केंद्र बने।
मुर्मू ने इस बात का उल्लेख किया कि डिजिटल युग में भारत में सबसे अधिक प्रगति, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से दूरगामी बदलाव किए गए हैं तथा शिक्षा को जीवन-मूल्यों और कौशल को परंपरा के साथ जोड़ा गया है।