सामाजिक क्षेत्र में महिला पेशेवरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खुद को सीमित रखने के पूर्वाग्रह की वजह से नेतृत्व के अवसर गंवा देता है। एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
इंडिया लीडर्स फॉर सोशल सेक्टर (ILSS) के हालिया सर्वेक्षण में सामाजिक क्षेत्र में आठ से 15 साल तक काम का अनुभव रखने वाली 50 फीसदी से अधिक महिलाओं का कहना है कि वे कभी-कभी खुद को लेकर पूर्वाग्रह की वजह से दबा महसूस करती हैं। खुद को सीमित रखने का पूर्वाग्रह अक्सर महिलाओं में सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण की वजह से आता है। इससे उनमें हीनता की भावना पैदा होती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की धारणा महिलाओं को खुद को सीमित रखने के व्यवहार की ओर ले जाती है। यह अक्सर महिलाओं को अपनी क्षमता, प्रतिभा, अवसर और लक्ष्यों से दूर ले जाता है जो किसी के करियर को बाधित कर सकता है।
सामाजिक क्षेत्र में महिला पेशेवरों के एक चुनिंदा समूह के साथ किया गया यह सर्वे नमूना आकार पर आधारित नहीं है। ILSS की संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) अनु प्रसाद ने कहा, ‘नेतृत्वकारी भूमिका तक पहुंचने को महिलाओं के लिए अनुकूल रास्ता बनाने की जरूरत है। इससे वे अपनी सीमा को तोड़कर सफल करियर बनाने के लिए आगे बढ़ सकेंगीं।’