अवैध खनन और रियल एस्टेट निर्माण के कारण दिल्ली से गुजरात के अहमदाबाद तक फैली 692 किलोमीटर लंबी पर्वत श्रृंखला अरावली की बरबादी जगजाहिर है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुसार, साल 2011 से 2017 के बीच 90 लाख टन खनिजों का अवैध उत्खनन किया गया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को हरियाणा पुलिस द्वारा दिए गए आंकड़ों से पता चलता है कि पर्यावरण के लिहाज से इस महत्त्वपूर्ण पर्वत श्रृंखला पर अवैध खनन जारी रहने के बावजूद अब तक शायद ही किसी को दोषी करार दिया गया है।
हरियाणा के फरीदाबाद, नूह और गुरुग्राम जिलों में इस पर्वत श्रृंखला पर अवैध खनन के खिलाफ 1 जनवरी, 2017 से लेकर 31 जनवरी, 2023 के बीच 582 शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। हरियाणा पुलिस की ओर से दायर शपथ पत्र के अनुसार केवल एक मामले में आरोपी को दोषी करार दिया गया। पिछले छह वर्षों के दौरान हरियाणा पुलिस को प्राप्त शिकायतों में से महज 507 के लिए प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी हरियाणा पुलिस द्वारा जमा कराई गई जानकारी और आंकड़ों को देखा है। पर्यावरण प्रेमियों के समूह अरावली बचाओ सिटीजन्स मूवमेंट की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान एनजीटी को हरियाणा पुलिस द्वारा मार्च में दी गई जानकारी से पता चलता है कि प्राप्त शिकायतों और दर्ज की गई प्राथमिकी में काफी अंतर है।
अरावली बचाओ ने अप्रैल 2022 में एनजीटी में एक याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि खनन पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिबंध के बावजूद गुड़गांव और नूह के 16 स्थानों पर अरावली से पत्थरों का अवैध खनन किया जा रहा है।
साल 2022 में सर्वोच्च न्यायालय ने पर्यावरण ठीक करने के लिए फरीदाबाद, गुरुग्राम और मेवात (नूह) में अरावली से खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2009 में फिर से एक आदेश में कहा था कि सभी खनन गतिविधियों को वैधानिक प्रावधान के अनुपालन तक निलंबित किया जाना चाहिए। खासकर वहां पर जहां गड्ढे और खदानों को खुला छोड़ दिया गया है।