भारत के प्रमुख शहरों में रहने वाले परिवार आने वाले साल में आर्थिक स्थिति को लेकर कम आशावादी नजर आ रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के उपभोक्ता आत्मविश्वास सर्वे (सीसीएस) के मुताबिक सामान्य आर्थिक स्थिति, रोजगार और कीमतों को लेकर कम आशावादिता के कारण जुलाई 2024 में फ्यूचर एक्सपेक्टेशन इंडेक्स (एफईआई) 4.1 प्रतिशत कमजोर होकर 120.7 पर आ गया है, जो मई 2024 में 124.8 था।
रोजगार की मौजूदा स्थिति और खुद की आमदनी को लेकर धारणा लगातार दूसरे सर्वे में कम हुई है। इन दोनों मानदंडों के लिए दृष्टिकोण आशावादी दायरे में रहा है। इस सर्वे में परिवारों की मौजूदा अवधारणा और आर्थिक स्थिति को लेकर एक साल आगे की अपेक्षाओं, रोजगार के परिदृश्य, कुल मिलाकर कीमतों की स्थिति, खुद की आमदनी और खर्च को लेकर देश के 19 प्रमुख शहरों में आंकड़े एकत्र किए गए हैं।
रिजर्व बैंक ने ताजा सर्वे 2 जुलाई से 11 जुलाई 2024 के बीच कराया है, जिसमें 6,062 लोगों ने जवाब दिया। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा है कि सर्वे में शामिल महिलाओं की हिस्सेदारी 54.4 प्रतिशत थी। मौजूदा अवधि के लिए उपभोक्ताओं का भरोसा लगातार दूसरे सर्वे में कम हुआ है। यह कोविड के बाद की अवधि में लगातार बढ़ रहा था।
व्यय को छोड़कर अन्य प्रमुख मानदंडों में उनकी धारणा कमजोर हुई है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि इसकी वजह से करेंट सिचुएशन इंडेक्स (सीएसआई) जुलाई 2024 में गिरकर 93.9 पर पहुंच गया, जो दो महीने पहले 97.1 पर था।
रिजर्व बैंक के घरेलू मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वे से संकेत मिलते हैं कि मई 2024 के सर्वे के दौर की तुलना में परिवारों का एक बड़ा हिस्सा सामान्य कीमतों और महंगाई दर में वृद्धि की उम्मीद कर रहा है। विभिन्न उत्पाद समूहों में मामूली रूप से उच्च कीमत और महंगाई का दबाव देखा गया है। सर्वे में कहा गया है कि आगामी एक वर्ष के लिए महंगाई की उम्मीदें खाद्य कीमतों, आवास और सेवाओं की लागत से बहुत नजदीक से जुड़ी हुई हैं।