सरकार भौगोलिक संकेत (GI) उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए पहल करने वाली पात्र एजेंसियों को वित्तीय मदद प्रदान करेगी। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने GI को बढ़ावा देने के लिए पहल करने पर वित्तीय मदद देने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाला DPIIT निवेश और बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के मामले देखता है। GI एक प्रकार का IPR है और मुख्य रूप से एक कृषि, प्राकृतिक या विनिर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) है जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है।
आमतौर पर, GI गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है और इसकी वजह अनिवार्य रूप से इसका मूल स्थान होता है। GI टैग पाने वाली प्रमुख वस्तुओं में बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी कपड़ा, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजौर चित्र, इलाहाबाद का सुर्खा, फर्रुखाबाद की छपाई, लखनऊ की जरदोजी और कश्मीर की अखरोट की लकड़ी की नक्काशी हैं।
DPIIT ने कहा, GI को बढ़ावा देने के लिए पहल करने वाली पात्र एजेंसियों को 100 फीसदी अनुदान सहायता के रूप में वित्तीय सहायता दी जाएगी। GI पंजीकरण के अन्य लाभों में उत्पाद की कानूनी सुरक्षा, किसी अन्य द्वारा उसके अनधिकृत उपयोग पर रोक और निर्यात को बढ़ावा भी हैं।