महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन तेजी से चल रहा है। चीनी मिलों की तरफ से भुगतान भी समय पर किया जा रहा है लेकिन चीनी मिलों की तरफ से भुगतान किये जाने के बावजूद मजदूरों और गन्ना ढुलाई में लगे किसान मजदूरों को भुगतान न होने की खबरें आ रही है। इससे निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार तकनीक का सहारा लेगी। जिससे ठेकेदारों की मनमानी पर नकेल कसी जा सकेगी।
चालू चीनी सीजन में गन्ने की पेराई कर रही राज्य की करीब 189 चीनी मिलों ने किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) का 82 फीसदी भुगतान किया है। इसके बावजूद गन्ना मजदूरों को भुगतान नहीं मिलने की खबरें आ रही हैं। विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सुपरवाइजर-ठेकेदार एडवांस पैसा लेकर बिना काम के भाग जाते हैं। इसे रोकने के लिए गोपीनाथ मुंडे गन्ना श्रमिक कल्याण निगम के माध्यम से एक तंत्र बनाया जाना चाहिए।
गन्ना किसानों के मामले पर जवाब देते हुए सहकारिता मंत्री अतुल सावे ने कहा कि सरकार चीनी मिलों, गन्ना श्रमिकों और गन्ना ट्रांसपोर्टरों को धोखा देने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक तंत्र बनाएगी। जिसके द्वारा गन्ना श्रमिकों का भुगतान सुनिश्चित होगा। महाराष्ट्र में पेराई सीजन तेजी से चल रहा है और साथ ही साथ चीनी मिलें भुगतान भी समय पर कर रही है। किसानों और मजदूरों के भुगतान पर सरकार की नजर है, किसी भी तरह की धोखाधड़ी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पेराई कर रही मिलों ने 15 दिसंबर तक 236.69 लाख टन गन्ने की पेराई की है और 7,407.20 करोड़ रुपये FRP देना था। इसमें से किसानों को 6,075.23 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। 69 मिलों ने 100 फीसदी FRP का भुगतान किया है, जबकि 21 मिलों ने 80 से 99 फीसदी के बीच FRP का भुगतान किया है।
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चालू सीजन में देश में कुल 4.10 करोड़ टन चीनी का उत्पादन का अनुमान है जिसमें 45 लाख टन चीनी की जगह एथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा यानी चीनी का वास्तविक कुल उत्पादन 3.65 करोड़ टन होने का अनुमान है। अभी तक देश में 82 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। जिसमें से महाराष्ट्र में 33 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 20.3 लाख टन और कर्नाटक में 18.9 लाख टन का उत्पादन किया गया है। देश में गन्ना पेराई सीजन एक अक्टूबर से शुरू होता है।