facebookmetapixel
CJI गवई ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत को अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश कीSIP में पैसा डालते-डालते थक गए? वैल्यू रिसर्च ने बताया क्यों नहीं बढ़ रहा आपका पैसा20 से 25 लाख तक ग्रेच्युटी बढ़ी! जानें किन्हें मिलेगी बढ़ी हुई ग्रेच्युटी? केंद्र ने दूर किया सभी भ्रमNBFCs के लिए टू-व्हीलर फाइनेंस सेक्टर में 18-19% ग्रोथ की उम्मीद, प्रीमियम बाइक की मांग बढ़ी: रिपोर्टRBI दिसंबर में देगा तोहफा? अर्थशास्त्रियों ने कहा – लोन होगा सस्ता, GDP ग्रोथ में आएगी और तेजीVodafone Idea को बड़ी राहत! SC ने केंद्र को दी AGR मामले की समीक्षा करने की छूट; शेयर 52 हफ्ते की ऊंचाई परLensKart IPO: 31 अक्टूबर को खुलेगा ₹7,278 करोड़ का आईपीओ, प्राइस बैंड ₹382-₹402 तय; जानिए हर डीटेलPMAY Online Registration: ऑनलाइन आवेदन शुरू, घर बनने की राह हुई आसान6-9 महीनों में ₹792 तक जा सकता है Hospital Stock, ब्रोकरेज ने कहा – खरीदने का सही मौकानतीजों के बाद Kotak Mahindra Bank पर आया ₹2510 तक का टारगेट, ब्रोकरेज ने दी BUY की सलाह

Gender Gap index: 2 रैंक और पिछड़ा भारत, पुरुषों के मुकाबले आधे से भी कम कमा रहीं महिलाएं

आइसलैंड WEF की Gender Gap index लिस्ट में दुनिया का सबसे अच्छा देश रहा। यहां लैंगिक समानता सबसे ज्यादा देखने को मिली। फिनलैंड और नॉर्वे इसके बाद की रैंक पर रहे।

Last Updated- June 12, 2024 | 5:02 PM IST
Gender to education and income: India's political gap is narrowing भारत में कम हो रहा दक्षिण बनाम वाम पंथ का अंतर, दुनियाभर में दोनों राजनीतिक विचारधाराएं क्यों ले रही करवट?

WEF’s Gender Gap index: भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच लैंगिंक असमानता (जेंडर गैप) की खाईं और बढ़ती जा रही है। आज यानी 12 जून को विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum’s ) ने वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक (Global Gender Gap index ) के आंकड़े जारी किए। 146 देशों की लिस्ट में भारत दो अंक पिछड़कर 129वें स्थान पर आ गया है। युद्ध के दौर से गुजर रहे सूडान ने तालिबान के शासन वाले देश अफगानिस्तान को अंतिम रैंक से हटाकर अपनी जगह बना ली है।

बता दें कि अफगानिस्तान के अंतिम रैंक से हटने की वजह वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) के आंकड़ों में शामिल न होना था। अफगानिस्तान के अलावा, मलावी (Malawi), म्यांमार और रूस भी WEF के इस इंडेक्स में शामिल नहीं हुए।

दक्षिण एशिया की बात की जाए तो पाकिस्तान ने सबसे खराब प्रदर्शन दिखाया, जबकि बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान भारत से आगे रहे।

भारतीय महिलाएं पुरुषों की तुलना में हर 100 रुपये पर 40 रुपये कमाती हैं…

भारत आर्थिक लैंगिक समानता के सबसे निचले स्तर वाले देशों में शामिल है। भारत की आर्थिक समानता 39.8 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि भारत में अगर पुरुष उसी काम के लिए 100 रुपये कमाते हैं तो महिलाएं औसतन हर 39.8 रुपये कमाती हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 140 करोड़ से अधिक की आबादी वाले भारत का 2024 में लैंगिक अंतर 64.1 प्रतिशत रहा। जबकि भारत की आर्थिक समानता का स्कोर सुधर रहा है, इसे 2012 के 46 प्रतिशत के स्तर पर लौटने के लिए 6.2 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी की जरूरत है।

बांग्लादेश की आर्थिक लैंगिक समानता सबसे निचले स्तर- 31.1 प्रतिशत है। इन दो देशों के अलावा, सूडान में 33.7 प्रतिशत, ईरान में 34.3 प्रतिशत, पाकिस्तान में 36 प्रतिशत और मोरक्को में 40.6 प्रतिशत की आर्थिक लैंगिक समानता देखी गई।

WEF की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इन अर्थव्यवस्थाओं में अनुमानित आय में 30 प्रतिशत से कम लैंगिक समानता दर्ज की गई है।’ पुरुषों और महिलाओं के बीच आर्थिक भागीदारी और अवसरों में अंतर को कम करना वैश्विक लैंगिक असमानता (ग्लोबल जेंडर गैप) से निपटने में दूसरी सबसे बड़ी बाधा है।

दुनिया की वे अर्थव्यवस्थाएं जहां आर्थिक लैंगिक समानता सबसे अधिक है यानी जहां लिंग के आधार पर भेदभाव कम है, उनमें लाइबेरिया (Liberia) और बोत्सवाना (Botswana) सबसे उच्चतम स्तर पर है। लाइउबेरिया में लैंगिक समानता 87.4 प्रतिशत और बोत्सवाना में 85.4 प्रतिशत हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन देशों में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी (labour-force participation) 95 प्रतिशत या उससे ज्यादा है।

लैंगिक समानता में आइसलैंड टॉप पर

कुल मिलाकर, आइसलैंड इस साल की WEF की लिस्ट में दुनिया का सबसे अच्छा देश रहा। यहां लैंगिक समानता सबसे ज्यादा देखने को मिली। फिनलैंड और नॉर्वे इसके बाद की रैंक पर रहे। यूनाइटेड किंगडम (UK) 14वीं रैंक पर, डेनमार्क 15वीं रैंक पर, दक्षिण अफ्रीका 18वीं रैक पर रहा। वहीं, अमेरिका 43वें, इटली 87वें, इजराइल 91वें, साउथ कोरिया 94वें और बांग्लादेश 99वें स्थान पर रहा।

WEF की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, 2006 से लगातार कवर किए गए 101 देशों को ध्यान में रखते हुए, 2023 से लिंग अंतर 0.1 प्रतिशत अंक कम हो गया है। मौजूदा समय में जो विकास की दर है, उसके मुताबिक, पूरी तरह से समानता 2158 में आएगी। यानी पुरुष-महिला के बीच पूरी तरह से समानता पाने के लिए अभी 134 साल लगेंगे – जो अब से लगभग पांच पीढ़ी आगे की बात है।

First Published - June 12, 2024 | 5:02 PM IST

संबंधित पोस्ट