WEF’s Gender Gap index: भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच लैंगिंक असमानता (जेंडर गैप) की खाईं और बढ़ती जा रही है। आज यानी 12 जून को विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum’s ) ने वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक (Global Gender Gap index ) के आंकड़े जारी किए। 146 देशों की लिस्ट में भारत दो अंक पिछड़कर 129वें स्थान पर आ गया है। युद्ध के दौर से गुजर रहे सूडान ने तालिबान के शासन वाले देश अफगानिस्तान को अंतिम रैंक से हटाकर अपनी जगह बना ली है।
बता दें कि अफगानिस्तान के अंतिम रैंक से हटने की वजह वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) के आंकड़ों में शामिल न होना था। अफगानिस्तान के अलावा, मलावी (Malawi), म्यांमार और रूस भी WEF के इस इंडेक्स में शामिल नहीं हुए।
दक्षिण एशिया की बात की जाए तो पाकिस्तान ने सबसे खराब प्रदर्शन दिखाया, जबकि बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान भारत से आगे रहे।
भारत आर्थिक लैंगिक समानता के सबसे निचले स्तर वाले देशों में शामिल है। भारत की आर्थिक समानता 39.8 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि भारत में अगर पुरुष उसी काम के लिए 100 रुपये कमाते हैं तो महिलाएं औसतन हर 39.8 रुपये कमाती हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 140 करोड़ से अधिक की आबादी वाले भारत का 2024 में लैंगिक अंतर 64.1 प्रतिशत रहा। जबकि भारत की आर्थिक समानता का स्कोर सुधर रहा है, इसे 2012 के 46 प्रतिशत के स्तर पर लौटने के लिए 6.2 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी की जरूरत है।
बांग्लादेश की आर्थिक लैंगिक समानता सबसे निचले स्तर- 31.1 प्रतिशत है। इन दो देशों के अलावा, सूडान में 33.7 प्रतिशत, ईरान में 34.3 प्रतिशत, पाकिस्तान में 36 प्रतिशत और मोरक्को में 40.6 प्रतिशत की आर्थिक लैंगिक समानता देखी गई।
WEF की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इन अर्थव्यवस्थाओं में अनुमानित आय में 30 प्रतिशत से कम लैंगिक समानता दर्ज की गई है।’ पुरुषों और महिलाओं के बीच आर्थिक भागीदारी और अवसरों में अंतर को कम करना वैश्विक लैंगिक असमानता (ग्लोबल जेंडर गैप) से निपटने में दूसरी सबसे बड़ी बाधा है।
The @wef‘s Global #GenderGap24 report is now live. It shows only a slight improvement in the global gap, with parity still five generations away at current rates of progress.
However, in a historical election year, improving the #political participation of #women could have a… pic.twitter.com/HPLRKNVFg1
— World Economic Forum (@wef) June 11, 2024
दुनिया की वे अर्थव्यवस्थाएं जहां आर्थिक लैंगिक समानता सबसे अधिक है यानी जहां लिंग के आधार पर भेदभाव कम है, उनमें लाइबेरिया (Liberia) और बोत्सवाना (Botswana) सबसे उच्चतम स्तर पर है। लाइउबेरिया में लैंगिक समानता 87.4 प्रतिशत और बोत्सवाना में 85.4 प्रतिशत हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन देशों में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी (labour-force participation) 95 प्रतिशत या उससे ज्यादा है।
कुल मिलाकर, आइसलैंड इस साल की WEF की लिस्ट में दुनिया का सबसे अच्छा देश रहा। यहां लैंगिक समानता सबसे ज्यादा देखने को मिली। फिनलैंड और नॉर्वे इसके बाद की रैंक पर रहे। यूनाइटेड किंगडम (UK) 14वीं रैंक पर, डेनमार्क 15वीं रैंक पर, दक्षिण अफ्रीका 18वीं रैक पर रहा। वहीं, अमेरिका 43वें, इटली 87वें, इजराइल 91वें, साउथ कोरिया 94वें और बांग्लादेश 99वें स्थान पर रहा।
WEF की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, 2006 से लगातार कवर किए गए 101 देशों को ध्यान में रखते हुए, 2023 से लिंग अंतर 0.1 प्रतिशत अंक कम हो गया है। मौजूदा समय में जो विकास की दर है, उसके मुताबिक, पूरी तरह से समानता 2158 में आएगी। यानी पुरुष-महिला के बीच पूरी तरह से समानता पाने के लिए अभी 134 साल लगेंगे – जो अब से लगभग पांच पीढ़ी आगे की बात है।