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भारत में सामजिक और पारिवारिक व्यवस्था की जड़ें मजबूत: गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि भारत में सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था की जड़ें बहुत मज़बूत हैं।

Last Updated- September 11, 2024 | 6:53 PM IST
Nitin Gadkari

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि हमारी सामाजिक व्यवस्था आदर्शवाद के सिद्धांत पर चलती है। और यही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि भारत में सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था की जड़ें बहुत मज़बूत हैं। उन्होंने कहा कि हमारी इस विशेषता को पूरा विश्व स्वीकारता है और अपने समाज में लागू करने का हर संभव कोशिश करता है।

गडकरी ने कहा कि विकसित देशों के लोग वैवाहिक और सामाजिक व्यवस्था के ध्वस्त होने से न केवल चिंतित हैं बल्कि भारती सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण करने के लिए उत्सुक हैं।

उन्होंने पद्मश्री से सम्मानित शिक्षाविद् प्रो जगमोहन सिंह राजपूत की पुस्तक ‘भारतीय विरासत और वैश्विक समस्याएं…व्याग्रता, उग्रता और समग्रता’ के लोकार्पण समारोह के दौरान यह बात कही।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय इतिहास, संस्कृति और विरासत के कारण भारतीय परिवेश से जो संस्कार बचपन से ही मिलता है और इस के कारण युवाओं का व्यक्तित्व बहुत शक्तिशाली बन जाता है जो उसे सामाजिक बंधन में मज़बूती से बांधे रखता है। हमारी सामाजिक व्यवस्था आदर्शवाद के सिद्धांत पर चलती है। और यही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

‘कूड़ा-कचरा का उपयोग उन्होंने हाइवे के निर्माण में किया’

गडकरी ने कहा कि हम अपने दृष्टिकोण से अपनी समस्या को अवसर में बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में दिल्ली और आसपास के कूड़ा-कचरा का उपयोग उन्होंने हाइवे के निर्माण में किया। इससे दिल्ली में प्रदूषण और गंदगी में कमी आई है। लेकिन गाड़ियों के कारण प्रदूषण पर पूरी तरह से नियंत्रण संभव नहीं हो पा रहा है।

इसके अलावा पूर्व शिक्षामंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि भारत हमेशा से विचार-विमर्श का पक्षधर रहा है। सांस्कृतिक विमर्श से ही समस्याओं का निदान संभव है।

डॉ जोशी ने कहा कि जानने की जिज्ञासा हमारी सबसे बड़ी विरासत है, त्यागपूर्ण भोग भारत की संस्कृति है। महात्मा गांधी और दीनद्याल उपाध्याय ने भी हमें त्याग का पाठ पढ़ाया और सामाजिक ताने-बाने को मज़बूत करने की सीख दी।

First Published - September 11, 2024 | 6:53 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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