भारत

लिखित जॉब कॉन्ट्रैक्ट से लेकर मातृत्व लाभ तक; 10 राज्यों में महिलाओं के लिए और खराब हो रहा वर्क कल्चर

महिलाओं के लिए कामकाजी परिस्थितियों के मामले में 10 राज्यों का विश्लेषण किया गया, जिसमें पंजाब सबसे खराब स्थिति में था।

Published by
शिखा चतुर्वेदी   
Last Updated- September 27, 2024 | 10:33 PM IST

 Job protection for women is eroding: अर्नस्ट एंड यंग (E&Y) की 26 वर्षीय कर्मचारी ऐना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत ने भारतीय श्रम बाजार में कार्यस्थल पर वर्क कल्चर और विशेषकर महिलाओं के लिए काम-काजी माहौल को लेकर बहस शुरू कर दी है।

नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों का अध्ययन करने वाले पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) इस सप्ताह की शुरुआत में ही जारी किया गया। इस सर्वे के डेटा का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि ग्रामीण और शहरी भारत में महिलाओं के लिए काम की स्थितियां चिंताजनक रुझानों की ओर इशारा करती है।

तीन प्रमुख मापदंडों के अनुसार स्थितियां गंभीर हैं। पहला, नियमित वेतन या वेतनभोगी महिला कर्मचारियों का प्रतिशत जिनके पास लिखित नौकरी अनुबंध नहीं है। दूसरा जो सवेतन अवकाश के लिए पात्र नहीं हैं और तीसरा जिन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुंच नहीं है।

2022-23 (जुलाई-जून) में बिना लिखित अनुबंध वाली नियमित वेतनभोगी महिला कर्मचारियों का प्रतिशत 55.8 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 57.3 प्रतिशत हो गया। सवेतन अवकाश के लिए पात्र न होने वालों का प्रतिशत 2019-20 में 49.8 प्रतिशत से घटकर 2020-21 में 43.7 प्रतिशत हो गया था, लेकिन 2023-24 में फिर बढ़कर 45.9 प्रतिशत हो गया। इसके अलावा, 2019-20 में निर्दिष्ट सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुंच नहीं रखने वाली महिला श्रमिकों का प्रतिशत 56 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 58 प्रतिशत हो गया, जिससे नौकरी की सुरक्षा में कमी आई है।

वर्कप्लेस पर कठिनाइयां

लिखित नौकरी अनुबंध और सवेतन अवकाश के लिए पात्र न होने के मामले में पुरुषों की स्थिति महिलाओं की तुलना में थोड़ी खराब है। हालांकि अन्य क्षेत्रों में महिलाओं को इससे भी बदतर स्थिति का सामना करना पड़ता है। 58 प्रतिशत महिलाएं पेंशन, स्वास्थ्य देखभाल और मातृत्व सहायता जैसी सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं प्राप्त करतीं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 51.8 प्रतिशत है।

महिलाओं की सामाजिक लाभों तक पहुंच

महिलाओं के लिए कामकाजी परिस्थितियों के मामले में 10 राज्यों का विश्लेषण किया गया, जिसमें पंजाब सबसे खराब स्थिति में था। 2023-24 में वहां 48.6 प्रतिशत महिलाओं के पास न तो लिखित नौकरी अनुबंध था और न ही निर्दिष्ट लाभ। आंध्र प्रदेश का आंकड़ा 47.3 प्रतिशत था, जबकि दिल्ली 45.3 प्रतिशत पर थी। छत्तीसगढ़ और गुजरात में भी महिलाओं की कामकाजी स्थितियों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई।

कुल मिलाकर, डेटा संकेत देता है कि 10 राज्यों में से अधिकांश में महिलाओं के लिए रोजगार की स्थितियां बिगड़ रही हैं।

महिलाओं के लिए 10 सबसे खराब राज्य

First Published : September 27, 2024 | 6:28 PM IST