तीन उद्योग संघों वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ(फिक्की),भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल(एसोचैम) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर चुनावी बॉन्ड के आंकड़े जारी नहीं करने की मांग की। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। बाद में एक बयान में फिक्की ने कहा कि उसने डगमगाते कारोबारी विश्वास को देखते हुए यह याचिका दाखिल की थी।
उद्योग संघ ने कहा, ‘भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में कारोबारी सुगमता इसका मुख्य कारक है। चुनावी बॉन्ड पर दबी परतें उघाड़ने से भारतीय और वैश्विक निवेशकों का विश्वास डगमगाएगा। याचिका दाखिल करने का हमारा सिर्फ इतना ही मकसद था।’ बयान में यह भी कहा गया है, ‘भारत को तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने में निजी क्षेत्र की मुख्य भूमिका को देखते हुए फिक्की सकारात्मक कारोबारी माहौल तैयार करने में भरोसा करता है।’
एसोचैम और सीआईआई ने इस संबंध में कोई बयान जारी नहीं किया है। सर्वोच्च अदालत में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के माध्यम से उद्योग संघ चुनावी बॉन्ड के खुलासे के खिलाफ दायर अपनी याचिका पर जल्द सुनवाई चाहते थे। अदालत ने कहा कि उद्योग संघों को अन्य याचियों पर वरीयता नहीं दी जा सकती और उनकी याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं की जा रही है।
शीर्ष अदालत ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को चुनिंदा तरीके से काम नहीं करने का निर्देश दिया और कहा कि वह चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित सभी तरह की जानकारी 21 मार्च तक उसके समक्ष पेश करे। सर्वोच्च अदालत ने बैंक से विशेष बॉन्ड की विशिष्ट संख्याएं (यूबीआई) भी जारी करने को कहा, जिनसे खरीदार और भुनाने वाले राजनीतिक दलों का खुलासा हो सके।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि स्टेट बैंक को चुनावी बॉन्ड से संबंधित पूरी जानकारी का खुलासा करना होगा।
इससे पहले अदालत ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वह सभी चंदादाताओं, उनके द्वारा दान दी गई धनराशि और इसे पाने वाले राजनीतिक दलों की पूरी जानकारी 13 मार्च तक उसके समक्ष पेश करे।
बीते 11 मार्च को सर्वोच्च अदालत ने स्टेट बैंक से उसके निर्देशों पर किए गए अमल के बारे में पूछा था। इसके बाद बैंक ने निर्वाचन आयोग के समक्ष आंकड़ा रखा, जिसे बाद में सार्वजनिक किया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को इस बात के लिए कड़ी फटकार लगाई थी कि उसने आधी-अधूरी जानकारी जारी की और बैंक को नोटिस जारी कर इसका कारण बताने के लिए कहा।