भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के पूसा कैंपस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को संबोधित करते हुए
शनिवार को दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के पूसा कैंपस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए दो बड़ी योजनाओं की शुरुआत की। इन योजनाओं का कुल बजट 35,440 करोड़ रुपये है। इनका मकसद दालों का उत्पादन बढ़ाना और खेती को और मजबूत करना है। पीएम ने इस मौके पर 5,450 करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया। साथ ही, 815 करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इन योजनाओं से किसानों की आय बढ़ाने और खेती को नई दिशा देने की कोशिश है।
पीएम ने अपने 30 मिनट के भाषण में किसानों को देश का गौरव बताया। उन्होंने कहा कि किसान भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। साथ ही, उन्होंने पुरानी कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधा। पीएम ने कहा कि पहले की सरकारों ने खेती के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई। इससे कृषि क्षेत्र कमजोर हुआ। लेकिन उनकी सरकार ने 2014 से खेती में सुधार शुरू किए।
पहली योजना है प्रधानमंत्री धान धान्य कृषि योजना (PM-DDKY), जिसके लिए 24,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं। यह योजना 100 कमजोर प्रदर्शन वाले जिलों में लागू होगी। इसका मकसद खेती की पैदावार बढ़ाना, फसलों में विविधता लाना, सिंचाई और भंडारण की सुविधा देना और किसानों को कर्ज आसानी से दिलाना है। यह योजना सरकार के महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme) की तर्ज पर बनाई गई है। पीएम ने कहा कि इस योजना से हर जिले की जरूरतों के हिसाब से काम होगा।
दूसरी योजना है दालों में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन, जिसके लिए 11,440 करोड़ रुपये का बजट है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता देश है। फिर भी, हमें दालों का आयात करना पड़ता है। इस मिशन का लक्ष्य 2030 तक दालों का उत्पादन बढ़ाकर 350 लाख टन करना है। अभी यह 252.38 लाख टन है। इसके लिए 35 लाख हेक्टेयर और जमीन पर दालों की खेती होगी। पीएम ने किसानों से अपील की कि वे चावल और गेहूं के अलावा दालों की खेती पर ध्यान दें। इससे प्रोटीन की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
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पीएम ने किसानों से कहा कि वे ऐसी फसलें उगाएं, जिनकी दुनिया में मांग है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें आयात कम करना है और निर्यात बढ़ाना है। इन दोनों योजनाओं से यह लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। पीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने खेती को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले 11 साल में कृषि बजट को छह गुना बढ़ाया गया है। खेती से जुड़े बीज से लेकर बाजार तक सुधार किए गए हैं।
पीएम ने बताया कि उनकी सरकार ने 10 साल में 13 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी दी। इसमें से 3.75 लाख करोड़ रुपये पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को मिले। वहीं, यूपीए सरकार ने अपने 10 साल में सिर्फ 5 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी। हाल ही में खेती के मशीनों और उपकरणों पर जीएसटी दरें भी कम की गईं। इससे किसानों को दोहरा फायदा हुआ। उनकी रोजमर्रा की चीजों के दाम भी कम हुए।
पीएम ने बताया कि पिछले 11 साल में भारत के कृषि निर्यात लगभग दोगुने हो गए हैं। अनाज का उत्पादन 90 मिलियन टन बढ़ा है। फल और सब्जियों का उत्पादन 64 मिलियन टन से ज्यादा बढ़ा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को 2 लाख करोड़ रुपये का बीमा क्लेम मिला। पीएम ने कहा कि यह कोई छोटी रकम नहीं है। इसके अलावा, 10,000 से ज्यादा किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाए गए। ये संगठन किसानों को एकजुट करने और बाजार तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं।
पीएम ने कहा कि PM-DDKY योजना की सफलता सिर्फ किसानों पर नहीं, बल्कि स्थानीय अधिकारियों, खासकर जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर पर भी निर्भर है। इस योजना में हर जिले की जरूरतों के हिसाब से काम करने की छूट दी गई है। इससे स्थानीय स्तर पर बेहतर योजना बन सकेगी।
कार्यक्रम में पीएम ने दालों की खेती करने वाले किसानों से भी बात की। इन किसानों ने सरकार की योजनाओं से फायदा उठाया है। ये योजनाएं खेती, पशुपालन और मछली पालन में मूल्य श्रृंखला को मजबूत कर रही हैं। इस मौके पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह भी मौजूद थे।
पीएम ने किसानों से अपील की कि वे भारत को खाद्यान में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ वैश्विक बाजार में भी अपनी जगह बनाएं। उन्होंने कहा कि ये योजनाएं किसानों की जिंदगी बदल देंगी और देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।
(PTI के इनपुट के साथ)