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Buying Gold on Diwali 2025: धनतेरस और दिवाली के मौके पर सोना-चांदी की खरीदारी घर-घर होती है। लेकिन इनकम टैक्स के नियमों के अनुसार घर में कितना सोना रखना पूरी तरह कानूनी है और किस हद तक टैक्स अधिकारियों का हस्तक्षेप नहीं हो सकता, यह जानना जरूरी है।
भारत में पहले Gold Control Act, 1968 था, जिसने नागरिकों को सोना रखने की सीमा तय की थी। यह कानून जून 1990 में खत्म कर दिया गया, इसलिए अब किसी व्यक्ति के पास सोने की कोई कानूनी सीमा नहीं है।
यानि आप चाहें तो अपने घर में बहुत सोना रख सकते हैं, बशर्ते यह वैध तरीके से खरीदा गया हो, जैसे टैक्स चुकाई हुई इनकम, गिफ्ट या विरासत से।
इनकम टैक्स विभाग ने 11 मई 1994 को निर्देश जारी किया था ताकि रैड (छापे) के दौरान छोटे गहनों की जब्ती से बचा जा सके। इस निर्देश के अनुसार:
शादीशुदा महिला: 500 ग्राम तक गहने
अविवाहित महिला: 250 ग्राम तक गहने
पुरुष (शादीशुदा/अविवाहित): 100 ग्राम तक गहने
इन सीमाओं तक का सोना पारिवारिक उपयोग माना जाता है और टैक्स अधिकारी इसे जब्त नहीं कर सकते। यह नियम केवल सोने के गहनों और आभूषणों पर लागू होता है, सोने के सिक्के, बार या अन्य प्रकार के गहने इसके दायरे में नहीं आते।
यदि आपके पास निर्दिष्ट सीमा से अधिक सोना है, तो टैक्स अधिकारी इसे तभी जब्त नहीं कर सकते जब आप सोने के स्रोत का प्रमाण दिखा सकें।
खुद खरीदा → बिल और लेन-देन का रिकॉर्ड
विरासत में मिला → वसीयत या संबंधित दस्तावेज़
गिफ्ट में मिला → देने वाले का नाम और अवसर
नकद में खरीदी गई ज्वेलरी के लिए पर्याप्त कैश विद्रॉल रिकॉर्ड रखना जरूरी है।
घर में सोना रखने पर टैक्स नहीं लगता
बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स देना होगा:
3 साल से पहले बेचा : शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स
3 साल बाद बेचा : लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (20% + इंडेक्सेशन)
टैक्स विशेषज्ञ बलवंत जैन बताते हैं कि आप चाहे 500 ग्राम, 50 किलो या उससे अधिक सोना रखें, कोई कानूनी रोक नहीं है। बस दस्तावेज और बिल संभालकर रखें, ताकि टैक्स अधिकारियों को सोने का स्रोत साबित किया जा सके।
CBDT के निर्देश के अनुसार पारिवारिक उपयोग के गहने निर्दिष्ट सीमा तक सुरक्षित हैं। इससे आप बिना झंझट के दिवाली की खुशियां मना सकते हैं।