कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान | फाइल फोटो
कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने आज बताया कि सरकार ने फसल वर्ष 2030-31 तक भारत में दलहन का उत्पादन 40 प्रतिशत बढ़ाकर 3.5 करोड़ टन करने का लक्ष्य तय किया है जबकि 2024-25 में मौजूदा उत्पादन स्तर 2.58 करोड़ टन है।
उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और शुल्क के जरिए उच्च खरीद के माध्यम से किसानों और उपभोक्ताओं के हितों के बीच संतुलन बनाए रखना है ताकि दोनों पक्षों को अधिकतम लाभ तय किया जा सके। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से छह साल की केंद्रीय योजना को मंजूरी दी। इसमें 11,440 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय है। ‘दालों में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन’ नामक यह योजना 2025-26 से 2030-31 तक की अवधि के लिए होगी।
चौहान 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अन्य पहलों के साथ कार्यक्रम के औपचारिक लॉन्च की घोषणा करने के लिए मीडिया को संबोधित कर रहे थे। चौहान ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय औसत की तुलना में कम उत्पादकता वाले 100 ब्लॉकों को चिह्नित किया है। इनमें मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उड़द, मसूर और तुअर की खरीद तय करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि भारत दलहल में दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन यह सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। देश को घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में दालों का आयात करना पड़ता है। दाल मिशन का उद्देश्य उत्पादन को बढ़ावा देना और भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। हम वर्ष 2030-31 तक दालों के रकबे को मौजूदा 2.75 करोड़ हेक्टेयर से बढ़ाकर 3.1 करोड़ हेक्टेयर कर देंगे। हमने 2023-24 में दालों के उत्पादन को 2.42 करोड़ टन से बढ़ाकर 3.5 करोड़ टन करने का लक्ष्य भी रखा है।