अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के साथ भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर
अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने और भारत द्वारा अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से अपने सभी अधिकारियों को वापस बुलाने के चार वर्ष बाद शुक्रवार को भारत ने यह घोषणा की कि वह काबुल में अपने मिशन को पुन: दूतावास का दर्जा देगा और अफगानिस्तान में विकास कार्यों का नवीनीकरण करेगा। दोनों पक्षों ने व्यापारिक और वाणिज्यिक रिश्ते (खासकर खनन क्षेत्र में) मजबूत करने की बात भी कही और हवाई मालवहन गलियारा बहाल करने पर सहमति जताई।
दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत में अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने भारतीय कंपनियों को आमंत्रित किया कि वे उनके देश के खनन क्षेत्र में निवेश करें। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसकी ‘सराहना’ की। वर्ष 2021 तक भारत का अफगानिस्तान के खनन क्षेत्र में बहुत अधिक निवेश था।
बाद में मुत्ताकी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अफगानिस्तान को खनन, स्वास्थ्य एवं बिजली उत्पादन के क्षेत्र में तकनीक और विशेषज्ञता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उनका देश एक व्यापार कमेटी का गठन करेगा ताकि भारत के साथ मिलकर काम किया जा सके और व्यापार बाधाओं को दूर किया जा सके। मुत्ताकी गुरुवार को छह दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे। वह आगरा और देवबंद की यात्रा पर भी जाएंगे।
बातचीत के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में बताया गया कि भारत और अफगानिस्तान ने अपने हवाई मालवहन कॉरिडोर को भी शुरू किया है ताकि दोनों देशों के बीच उद्योग ण्वं वाणिज्य की गतिविधियां सीधे शुरू हो सकें। इस कॉरिडोर को पहले जून 2017 में लॉन्च किया गया था और अगस्त 2020 तक इसके तहत करीब 1,000 उड़ानें संचालित हुईं और 21.6 करोड़ डॉलर मूल्य की वस्तुओं का परिवहन हुआ। जयशंकर ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि काबुल और नई दिल्ली के बीच अतिरिक्त उड़ान संचालित हो रही हैं।’
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मुत्ताकी ने कहा कि उनकी सरकार ईरान के चाबहार बंदरगाह के रास्ते भारत-अफगानिस्तान कारोबार का समर्थन करेगी। 2018 से अगस्त 2020 के बीच इस बंदरगाह ने भारत से अफगानिस्तान भेजी गई 5,000 से अधिक कंटेनरों वाली सहायता को संभाला। इनमें 1.10 लाख टन से अधिक गेहूं और 2,000 टन से अधिक दालें थी। 2019 में अफगानिस्तान ने चाबहार बंदरगाह के जरिये भारत को 700 टन कृषि एवं खनिज उत्पादों का निर्यात किया। अपने देश के दूतावास में मीडिया को संबोधित करते हुए मुत्ताकी ने कहा कि अफगानिस्तान द्विपक्षीय रिश्ते सुधारने की प्रक्रिया के तहत अपने राजनयिकों को भारत भेजेगा। भारत द्वारा तालिबान सरकार को मान्यता देने के प्रश्न पर मुत्ताकी ने उम्मीद जताई कि रिश्ते धीरे-धीरे सामान्य होंगे। भारत ने अब तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है।
मुत्ताकी ने आश्वस्त किया कि अफगानिस्तान की सरजमीं से ऐसी कोई गतिविधि नहीं चलने दी जाएगी जो भारत के हितों के विरुद्ध हो। जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए मुत्ताकी का धन्यवाद किया। मुत्ताकी ने गुरुवार को अफगान सीमा पर पाकिस्तान के हमलों की भी निंदा की। अफगानी विदेश मंत्री ने ऐसी हरकतों को पाकिस्तान की गलती करार दिया। हाल के दिनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में गिरावट आई है।
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में मुत्ताकी ने कहा कि तालिबान के अमेरिका के साथ 20 वर्षों तक चले संघर्ष के दौरान (भारत और तालिबान के संबंधों में) उतार-चढ़ाव रहे, ‘लेकिन हमने कभी भी भारत के खिलाफ कोई बयान जारी नहीं किया, बल्कि हमेशा यही कहा कि हम भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहते हैं।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया कि बगराम एयर बेस अमेरिका को सौंपा जाएगा या किसी भी विदेशी सैन्य बल की उपस्थिति की कोई संभावना है।
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जयशंकर ने मुत्ताकी से कहा कि उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच रिश्तों में अहम है। भारत ने अफगानिस्तान को छह परियोजनाओं में मदद का वादा किया है। इनमें काबुल के बगरामी जिले में 30 बिस्तरों वाला अस्पताल भी शामिल है। जयशंकर ने कहा कि भारत ने अप्रैल 2025 में अफगान लोगों के लिए नया वीजा मॉड्यूल पेश किया है। इसके परिणामस्वरूप अब अधिक वीजा जारी किए जा रहे हैं।