विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी
भारत ने शुक्रवार को एक बड़ा ऐलान करते हुए काबुल में अपने टेक्निकल मिशन को पूर्ण दूतावास का दर्जा देने का फैसला किया। साथ ही, भारत ने अफगानिस्तान में अपने पुराने विकास कार्यों को फिर से शुरू करने का वादा किया। यह घोषणा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के साथ मुलाकात के दौरान की। मुत्तकी गुरुवार को छह दिन के दौरे पर भारत पहुंचे हैं।
2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने काबुल में अपने दूतावास से कर्मचारियों को वापस बुला लिया था। इसके बाद जून 2022 में भारत ने वहां एक टेक्निकल टीम भेजकर अपनी राजनयिक मौजूदगी फिर से शुरू की थी। अब इस मिशन को दूतावास का दर्जा देकर भारत ने अफगानिस्तान के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने का संदेश दिया है।
जयशंकर ने मुत्तकी के साथ बातचीत में आतंकवाद को दोनों देशों के लिए साझा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान को मिलकर आतंकवाद से लड़ना होगा। जयशंकर ने तालिबान प्रशासन की ओर से भारत की सुरक्षा चिंताओं को समझने के लिए उनकी तारीफ की। खास तौर पर, हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई थी।
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मुत्तकी ने भी भारत को भरोसा दिलाया कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने दाएश (आईएसआईएस) को क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया और कहा कि अफगानिस्तान इस आतंकी संगठन के खिलाफ सबसे आगे लड़ रहा है। मुत्तकी ने कहा कि तालिबान ने अपनी ताकत से दाएश को अफगानिस्तान से लगभग खत्म कर दिया है। उन्होंने भारत समेत पूरे क्षेत्र से इस जंग में साथ देने की अपील की। जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता का पूरा समर्थन करता है। उन्होंने दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाने की बात कही, जो अफगानिस्तान के विकास और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जरूरी है।
भारत ने अफगानिस्तान में छह नई परियोजनाओं को शुरू करने का ऐलान किया। इनके बारे में जल्द ही और जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा, भारत ने अफगानिस्तान को 20 एंबुलेंस देने का वादा किया, जिनमें से पांच को जयशंकर ने मुत्तकी को सौंप दिया। यह भारत की ओर से दोस्ती का एक प्रतीकात्मक कदम है।
जयशंकर ने अफगानिस्तान में खनन के मौकों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि अफगान सरकार ने भारतीय कंपनियों को वहां खनन क्षेत्र में काम करने का न्योता दिया है, जिस पर और चर्चा होगी। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए काबुल और नई दिल्ली के बीच अतिरिक्त उड़ानें शुरू होने पर भी खुशी जताई गई।
जयशंकर ने जबरन वापस भेजे गए अफगान शरणार्थियों की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि उनकी गरिमा और आजीविका की रक्षा जरूरी है। भारत ने इन शरणार्थियों के लिए घर बनाने और उनकी जिंदगी फिर से बसाने के लिए सामग्री देने का वादा किया।
मुत्तकी ने भारत को क्षेत्र का महत्वपूर्ण देश बताया और कहा कि भारत ने हमेशा अफगान लोगों का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की साझा समृद्धि के लिए आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ना जरूरी है।
(PTI के इनपुट के साथ)