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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को दोबारा हासिल करना क्यों चाहते हैं?

बगराम एयर बेस अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 60 किलोमीटर उत्तर में है जो पहले अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना था

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ऋषभ शर्मा   
Last Updated- September 21, 2025 | 4:46 PM IST

Bagram Air Base: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान के बगराम एयर बेस को लेकर एक बार फिर हलचल मचा दी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ एक मुलाकात में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका इस बेस को वापस लेने की कोशिश कर रहा है। यह बेस 2021 में अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से हटने के दौरान छोड़ दिया गया था। ट्रंप ने कहा, “हमने इसे मुफ्त में दे दिया। अब हम इसे वापस चाहते हैं।” इसके बाद उन्होंने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर तालिबान को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने बेस वापस नहीं किया तो “बुरा अंजाम” भुगतना पड़ेगा।

बगराम बेस क्यों है खास?

बगराम एयर बेस अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 60 किलोमीटर उत्तर में है। यह अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना था। 2012 में अपने चरम पर, यहां से एक लाख से ज्यादा अमेरिकी सैनिक गुजरे थे। इसकी 11,800 फीट लंबी हवाई पट्टी बमवर्षक और भारी मालवाहक विमानों को संभाल सकती है। ट्रंप ने इसे “दुनिया के सबसे ताकतवर बेसों में से एक” बताया है। यह बेस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी अहम था।

अमेरिका की नजर क्यों?

ट्रंप का सबसे बड़ा तर्क बगराम की भौगोलिक स्थिति है। उन्होंने कहा, “यह चीन के परमाणु हथियार बनाने वाली जगह से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है।” ओरियन पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बगराम चीन के शिनजियांग में हामी मिसाइल फील्ड से 1,500 मील से भी कम दूरी पर है। यह अफगान-चीन सीमा से सिर्फ 500 मील दूर है। पेंटागन का अनुमान है कि चीन के पास 600 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं और 2030 तक यह संख्या 1,000 को पार कर सकती है।

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इसके अलावा, बगराम ISIS-K, अल-कायदा और पाकिस्तानी तालिबान के खिलाफ हमलों के लिए भी अहम था। संयुक्त राष्ट्र की 2025 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि ISIS-K अब भी अफगानिस्तान, ईरान और रूस में सक्रिय है और “सबसे खतरनाक” आतंकी समूहों में से एक है। अल-कायदा ने अफगानिस्तान में नौ नए प्रशिक्षण शिविर बनाए हैं। वहीं, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने 2024 की दूसरी छमाही में अफगान जमीन से 600 से ज्यादा हमले किए। ट्रंप का मानना है कि बगराम वापस लेना अमेरिका के लिए फिर से पकड़ मजबूत करने के लिए जरूरी है।

तालिबान का सख्त रुख

तालिबान ने ट्रंप की बात को सिरे से खारिज कर दिया है। तालिबान के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ फसीहुद्दीन फित्रत ने काबुल में एक कार्यक्रम में कहा, “अफगानिस्तान पूरी तरह आजाद है। यह अपने लोगों द्वारा शासित है और किसी विदेशी ताकत पर निर्भर नहीं है। हमें किसी धमकी से डर नहीं लगता।” हाल ही में तालिबान ने कुछ पश्चिमी कैदियों को रिहा किया, लेकिन विदेशी सेना की वापसी की कोई गुंजाइश नहीं दिखाई।

एक्सपर्ट्स का क्या है कहना

एक्सपर्ट्स का कहना है कि बगराम को वापस लेना आसान नहीं होगा। फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के बिल रोगियो ने चेतावनी दी कि तालिबान और चीन इसका कड़ा विरोध करेंगे। बेस को दोबारा कब्जाने के लिए बड़ी संख्या में सैनिक भेजने होंगे। इससे दोहा समझौता टूट सकता है और पाकिस्तान, रूस व ईरान के साथ रिश्ते खराब हो सकते हैं। ट्रंप ने सैनिक भेजने के सवाल पर सीधा जवाब देने से इनकार किया। उन्होंने शनिवार को पत्रकारों से कहा, “हम इस पर बात नहीं करेंगे।”

First Published : September 21, 2025 | 4:43 PM IST