उच्चतम न्यायालय द्वारा पर्यावरण संबंधी मंजूरी पर मई 2025 में दिया गया अपना निर्णय वापस लिए जाने के बाद सैकड़ों रियल एस्टेट परियोजनाओं पर मंडरा रहा खतरा टल गया है। विशेषज्ञों के अनुसार इससे घर खरीदारों, विनिर्माताओं (डेवलपर) और ऋणदाताओं को बड़ी राहत मिली है।
शीर्ष न्यायालय के नवीनतम फैसले से पर्यावरण संबंधी मंजूरी हासिल करने में प्रक्रियात्मक चूक के कारण कई परियोजनाओं को राहत मिली है। अब परियोजनाएं रोकने के बजाय उचित पर्यावरणीय आकलन से गुजरना पड़ सकता है।
एनारॉक ग्रुप के अध्यक्ष अनुज पुरी के अनुसार मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) और पुणे में फंसी 490 से ज़्यादा परियोजनाएं अब नियमित होने के लिए पात्र हो गई हैं। इन परियोजनाओं 70,000 से अधिक आवासीय इकाइयां हैं। लगभग 30,000 करोड़ रुपये लागत वाली इन परियोजनाओं पर तत्काल बंद होने का खतरा दूर हो गया है।
रियल एस्टेट उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस फैसले से उन परियोजनाओं के लिए रास्ता खुल गया है जो कानूनी अनिश्चितता से जूझ रही थीं। राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (नारेडको) के अध्यक्ष प्रवीण जैन ने कहा कि इस निर्णय से आवास की उपलब्धता में बाधा दूर हो जाएगी और निवेश से जुड़े जोखिम भी दूर हो गए हैं। जैन ने कहा कि इसके साथ ही रुकी हुई निर्माण परियोजनाओं के कारण रोजगार को हो रहा नुकसान भी अब नहीं होगा।
नारेडको के चेयरपर्सन डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय मंजूरी पर पूर्व में लगाए प्रतिबंध वापस लिए जाने से रियल एस्टेट उद्योग को काफी राहत मिली है। उन्होंने कहा,‘गिराए जाने के खतरे का सामना कर रही कई परियोजनाएं अब अचानक बंद होने के बजाय विस्तृत पर्यावरणीय समीक्षा से गुज़र सकती हैं।’
उच्चतम न्यायालय ने 18 नवंबर को 2 बनाम1 के बहुमत से अपने मई 2025 का निर्णय वापस ले लिया। इस पुनर्विचार याचिका के साथ पहले के प्रतिबंध फिलहाल हटा दिए गए हैं और मामले पर नए सिरे से विचार करने के लिए एक उपयुक्त पीठ के समक्ष रखा गया है। अब गिराए जाने का सामना कर रही परियोजनाएं बंद होने के बजाय उचित जांच-पड़ताल से गुजर सकती हैं। जैन ने कहा,‘इस कदम से डेवलपर, ऋणदाताओं और घर खरीदारों के लिए अल्पकालिक स्थिरता बहाल होती है जो अनिश्चितता से जूझ रहे थे। यह निर्णय परियोजनाओं को उचित पर्यावरणीय आकलन के माध्यम से अनुपालन प्रदर्शित करने के लिए समय भी देता है।’
हालांकि, दिल्ली स्थित एक डेवलपर ने कहा कि यह एक व्यापक अनुमति तो नहीं है क्योंकि मामले को केवल एक उपयुक्त पीठ के पास भेजा गया है। उन्होंने कहा, ‘डेवलपर को अभी भी पर्यावरणीय व्यवहार्यता को सही ठहराने और अपने दस्तावेजीकरण और जोखिम-प्रबंधन प्रथाओं को मजबूत करने की जरूरत होगी।’ प्रोपटेक कंसल्टेंसी के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मित्तल ने भी कहा कि यह निर्णय एक झटके में तो सारी समस्याएं हल नहीं करता है लेकिन यह कम से कम डेवलपर को अचानक स्थगन आदेश या गिराए जाने बारे में चिंता करने के बजाय अपनी पर्यावरणीय जांच ठीक से करवाने के लिए एक सीधा रास्ता देता है।