भारत

यूपी में रबी सीजन में खाद की किल्लत से किसान परेशान, सरकार ने किया संकट से इनकार

ज्यादातर जिलों में यूरिया भी गायब है जिससे आलू, सरसो सहित कई फसलों की बुआई पिछड़ रही है।

Published by
बीएस संवाददाता   
Last Updated- November 14, 2024 | 10:01 PM IST

उत्तर प्रदेश में रबी बुआई के समय चल रही खाद की किल्लत और मारामारी के बीच प्रदेश सरकार का कहना है कि कहीं कोई संकट नही है। प्रदेश के कई जिलों में किसान डाई अमोनिया फास्फेट (डीएपी) खाद के लिए परेशान हैं और इसकी कालाबाजारी की खबरें आ रही हैं। ज्यादातर जिलों में यूरिया भी गायब है जिससे आलू, सरसो सहित कई फसलों की बुआई पिछड़ रही है। विपक्षी नेता भी प्रदेश में खाद संकट का सवाल लगातार उठा रहे हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हालात यह है कि प्रदेश में अभी तक 10.42 लाख टन खाद की बिक्री रबी के सीजन में हुई है जबकि जरूरत 68 लाख टन की है। प्रदेश सरकार के पास अभी 24 लाख टन खाद स्टॉक में है।

प्रदेश की कृषि उत्पादन आयुक्त मोनिका एस गर्ग ने बताया कि डीएपी खाद की उपलब्धता और आपूर्ति सुनिश्चित हो रही है। उन्होंने कहा कि कृषि सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है, प्रधानमंत्री के पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की योजना में यह शामिल है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों इफ्को, कृभको के अलावा अन्य कंपनियों की खाद का भी 30 फीसदी सहकारी समितियों को जा रहा है जिसके चलते किसानों को दिक्कत नहीं होगी। उनका कहना है कि प्रदेश को पिछले साल की उपयोगिता के बराबर ही खाद मिल रही है।

Also read: UP: ईवी चार्जिंग स्टेशन का जाल बिछाएगी योगी सरकार, बिजली दरों में भी किया संशोधन

कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि डीएपी और एनपीके को मिलाकर उत्तर प्रदेश खाद के मामले में सरप्लस में है। उनका कहना है कि जैविक खाद का उपयोग करने वाले किसानों की तादाद बढ़ रही है जिसके चलते डीएपी की जरूरत कम हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार चाहती है कि किसान गेहूं धान की खेती पर ही आधारित ना रहें बल्कि विविधीकरण अपनाएं।

वहीं खाद संकट को लेकर भारतीय किसान यूनियन के नेता उत्कर्ष तिवारी का कहना है कि सरकार ने समय रहते इंतजाम नहीं किए और अब किसानों को समितियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि सितंबर में आलू की अगैती तो अक्टूबर में पिछैती की बोआई शुरू हो जाती है। अब नंवबर आते ही गेंहूं और सरसों की बोआई शुरू हो गई है और किसानों के लिए खाद सबसे महत्वपूर्ण है जो जरूरत के मुताबिक मिल नहीं पा रही है।

भाकियू नेता ने कहा कि सहकारी समितियों पर खाद मिल नहीं रही है और किसानों को इसकी कीमत खुले बाजार में 500 रूपये बोरी तक ज्यादा चुकानी पड़ रही है। इसी किल्लत के चलते नकली खाद भी धड़ल्ले से बिकने लगी है।

First Published : November 14, 2024 | 10:01 PM IST