दिल्ली आने के लिए अड़े किसानों को मनाने और उनकी मांगों पर विचार करने के लिए किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के पैनल के बीच चंडीगढ़ में गुरुवार शाम तीसरे चरण की बातचीत हुई। किसान तीन दिन दिन से पंजाब और हरियाणा सीमा पर डटे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों ने दिन में रेल रोको प्रदर्शन तो किया लेकिन, किसी प्रकार का उग्र प्रदर्शन नहीं किया। किसानों के रेल पटरियों पर बैठने के कारण कई ट्रेनों के मार्ग बदले गए। इस बीच हरियाणा के सात जिलों में 17 और पंजाब में 16 फरवरी तक मोबाइल इंटरनेट पर पाबंदी बढ़ा दी गई है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य, उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गुरुवार शाम को किसानों के साथ बैठक शुरू की। फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी, ऋण माफी, स्वामीनाथन सिफारिशों को लागू करना और दो साल पहले आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ मुकदमों को वापस लिए जाना किसानों की प्रमुख मांगें हैं। मंत्रियों के साथ किसानों की 8 और 12 फरवरी को हुई बैठकों में मुद्दे का कोई हल नहीं निकल सका था।
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों से मिलने आ रहे अपने तीनों मंत्रियों से बात कर मुद्दे का हल निकालने को कहना चाहिए। पंढेर ने कहा कि किसानों की मांगें पूरी की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि या तो हमारी मांगें पूरी की जाएं अथवा हमें शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन जारी रखने दिया जाए। हरियाणा-पंजाब सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों की कार्रवाई की निंदा करते हुए पंढेर ने कहा कि किसानों के खिलाफ बल प्रयोग किया गया, जिसमें अनेक लोग घायल हुए हैं।
अपनी मांगों को लेकर बड़ी संख्या में पंजाब से किसान दिल्ली के लिए निकले हैं, जिन्हें हरियाणा में अंबाला, जींद और फतेहाबाद सीमाओं पर रोक लिया गया है। किसानों ने गुरुवार को दिन में कहा कि वे किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच होने वाली बैठक के नतीजे का इंतजार करेंगे और आगे नहीं बढ़ेंगे। आगे की रणनीति केंद्र का प्रस्ताव देखने के बाद ही तय की जाएगी।
भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) और बीकेयू दकौंदा (धनेर) ने रेल रोको प्रदर्शन का ऐलान किया था। कई स्थानों पर चार घंटे तक किसान गुरुवार दोहपर रेल पटरियों पर बैठे। किसानों ने यह फैसला शंभू और खनौरी सीमा पर किसानों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में लिया था। दोनों सीमाओं पर हजारों किसान दिल्ली चलो आंदोलन के तहत आगे बढ़ने के लिए खड़े हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा दिल्ली चलो आंदोलन की अगुआई कर रहे हैं। हरियाणा पुलिस ने पंजाब सीमाओं को पूरी तरह सील कर दिया है।
किसानों के आंदोलन को लेकर राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस ने जहां आंदोलन को समर्थन देने की बात कही है, वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रदर्शनकारियों पर तीखा हमला बोला है। खट्टर ने अपने मांगों को मनवाने के लिए किसानों के आंदोलन पर की अलोचना करते हुए कहा कि वे आक्रमण करने जा रही सेना की तरह दिल्ली की ओर कूच करने की कोशिश कर रहे हैं। किसान सेना की तरह ट्रैक्टर ट्रॉली, अर्थ-मूवर और एक साल का राशन लेकर आगे बढ़ रहे हैं। हमें उनके इस तरीके पर आपत्ति है। हमें उनके दिल्ली जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।
बिहार के औरंगाबाद जिले में रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान देश के लिए वैसे ही लड़ रहे हैं, जैसे सीमा पर सैनिक लड़ते हैं। गांधी ने कहा, ‘प्रदर्शन कर रहे किसानों पर आंसू गैस छोड़ी जा रही है और उन पर छर्रों से प्रहार किया जा रहा है। ऐसा ही एक किसान मुझसे मिला, जिसका चेहरा रबर की गोलियों से खराब हो गया था। मैंने कहा कि आप कुछ भी गलत नहीं कर रहे हैं। आप देश के लिए लड़ रहे हैं, ठीक उसी तरह जैसे सीमा पर सैनिक लड़ते हैं।’ कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से भोपाल में हिरासत में लिए गए राज्य के किसानों को रिहा करने का अनुरोध किया।