एयरपोर्ट्स ऑपरेटर्स ने आव्रजन (immigration), सुरक्षा (Security) और वीजा (Visa) के आसान नियमों की मांग की है, जिससे भारत (India) और यूरोप (Europe) के बीच व्यापार और पर्यटन को लाभ मिलेगा। गुरुवार को नई दिल्ली में ईयू-इंडिया विमानन सम्मेलन (EU-India Aviation Summit) के मौके पर यह मांग की गई।
वर्ष 2022 में 69 लाख से ज्यादा यात्रियों ने भारत और यूरोप के बीच (ब्रिटेन सेमत) यात्रा की थी। एशिया प्रशांत और यूरोप में हवाई अड्डों का प्रतिनिधित्व करने वाली एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनैशनल ने संयुक्त रूप से प्रतिनिधित्व करते हुए सुरक्षा, उपभोक्ता संरक्षण और वीजा जारी करने के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।
हवाई अड्डों ने यूरोपीय संघ और भारत के बीच ‘वन-स्टॉप सुरक्षा व्यवस्था’ (OSS) की दिशा में कार्य योजना बनाने पर जोर दिया है। इस तरह का ढांचा एक-दूसरे की सुरक्षा प्रणालियों की पारस्परिक मान्यता पर आधारित होता है।
इससे हवाई अड्डों पर ट्रांजिट प्रक्रिया सुचारू हो सकती है और इससे उड़ानों के बीच आवश्यक कनेक्टिंग समय कम किया जा सकता है। वर्तमान में भारत से आने वाले बैग की यूरोप में ट्रांजिट पॉइंट पर दोबारा जांच की जाती है।
Also Read: एविएशन इंडस्ट्री सुधार के रास्ते, 2022-23 में यात्रियों की संख्या 60 फीसदी बढ़ी : रिपोर्ट
यूरोपीय संघ का सिंगापुर के साथ OSS समझौता है। इसके तहत सिंगापुर से आने वाले यात्री और बैग के लिए यूरोप की कनेक्टिंग उड़ान के वास्ते ट्रांजिट चेक पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। ACI ने अबू धाबी जैसे हवाई अड्डों में अमेरिका द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया के समान भारत और यूरोपीय संघ के बीच आव्रजन की पूर्व-मंजूरी की भी सिफारिश की है क्योंकि इससे यात्रा में आसानी होगी।
हवाईअड्डों ने प्रक्रिया को आसान बनाने का भी आग्रह किया है, जिसमें कॉन्सुलर और वीजा सेवाओं की तीव्र डिलिवरी भी शामिल है क्योंकि इससे भारत और यूरोपीय संघ के बीच लोगों की आवाजाही में सुविधा होगी और कारोबारी संबंधों तथा पर्यटन में वृद्धि होगी।