दिल्ली सरकार ने मजदूरों को बड़ी राहत देते हुए न्यूनतम वेतन बढ़ाने का ऐलान किया है। यह नया वेतन 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। सरकार का कहना है कि यह कदम बढ़ती महंगाई से परेशान मजदूरों की जिंदगी को आसान बनाएगा। दिल्ली जैसे बड़े शहर में, जहां रोजमर्रा की चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, यह फैसला मजदूरों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है। इस बढ़ोतरी से उनकी आर्थिक ताकत बढ़ेगी और वे अपने परिवार का बेहतर ढंग से पालन-पोषण कर सकेंगे।
नए वेतन की बात करें तो अकुशल मजदूरों को अब हर महीने 18,456 रुपये मिलेंगे, जो पहले 18,066 रुपये थे। वहीं, अर्ध-कुशल मजदूरों का वेतन 19,929 रुपये से बढ़कर 20,371 रुपये हो गया है। कुशल मजदूरों के लिए वेतन 21,917 रुपये से बढ़कर 22,411 रुपये हो गया है। इसके अलावा, ग्रेजुएट या उससे ऊपर की पढ़ाई करने वाले मजदूरों को अब 24,356 रुपये हर महीने मिलेंगे, जो पहले 23,836 रुपये थे। सरकार का मानना है कि यह छोटी-सी बढ़ोतरी मजदूरों को महंगाई के बोझ से कुछ हद तक राहत देगी।
दिल्ली सरकार ने यह भी साफ किया है कि अगर किसी मजदूर को नया वेतन नहीं मिलता, तो वह शिकायत कर सकता है। इसके लिए वह अपने इलाके के संयुक्त श्रम आयुक्त या उप श्रम आयुक्त से संपर्क कर सकता है। ये अधिकारी 1948 के न्यूनतम वेतन कानून के तहत शिकायतों का समाधान करेंगे। सरकार ने सख्ती से कहा है कि कोई भी नियोक्ता मजदूरों को तय वेतन से कम नहीं दे सकता। अगर ऐसा होता है, तो मजदूर को पूरा हक है कि वह कानूनी मदद ले और अपना अधिकार हासिल करे।
यह फैसला दिल्ली के उन लाखों मजदूरों के लिए उम्मीद की किरण है, जो कम वेतन में गुजारा करने को मजबूर हैं। खासकर उन जरूरी क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों के लिए, जहां मेहनत ज्यादा और पैसा कम मिलता है। दिल्ली सरकार का यह कदम न सिर्फ मजदूरों की जिंदगी बेहतर करेगा, बल्कि शहर की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा।