facebookmetapixel
खरीदारी पर श्राद्ध – जीएसटी की छाया, मॉल में सूने पड़े ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरएयरपोर्ट पर थर्ड-पार्टी समेत सभी सेवाओं के लिए ऑपरेटर होंगे जिम्मेदार, AERA बनाएगा नया नियमकाठमांडू एयरपोर्ट से उड़ानें दोबारा शुरू, नेपाल से लोगों को लाने के प्रयास तेजभारत-अमेरिका ट्रेड डील फिर पटरी पर, मोदी-ट्रंप ने बातचीत जल्द पूरी होने की जताई उम्मीदApple ने उतारा iPhone 17, एयर नाम से लाई सबसे पतला फोन; इतनी है कीमतGST Reforms: इनपुट टैक्स क्रेडिट में रियायत चाहती हैं बीमा कंपनियांमोलीकॉप को 1.5 अरब डॉलर में खरीदेंगी टेगा इंडस्ट्रीज, ग्लोबल मार्केट में बढ़ेगा कदGST 2.0 से पहले स्टॉक खत्म करने में जुटे डीलर, छूट की बारिशEditorial: भारत में अनुबंधित रोजगार में तेजी, नए रोजगार की गुणवत्ता पर संकटडबल-सर्टिफिकेशन के जाल में उलझा स्टील सेक्टर, QCO नियम छोटे कारोबारियों के लिए बना बड़ी चुनौती

Criminal Laws: नए आपराधिक कानूनों के लिए व्यापक तैयारी

नए आपराधिक कानून: 1 जुलाई से लागू, 40 लाख कर्मियों को प्रशिक्षण

Last Updated- June 26, 2024 | 11:02 PM IST
new criminal laws

केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने तीन आपराधिक कानूनों को सही तरीके से लागू करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके लिए लगभग 40 लाख निचले स्तर के कर्मचारियों और करीब 5 लाख पुलिस एवं जेल कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है। संसद ने तीनों आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 को पिछले साल शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किया था। इसके बाद 25 दिसंबर को ही इन्हें अधिसूचित कर दिया गया था। तीनों कानून पूरे देश में 1 जुलाई से लागू हो जाएंगे।

ये तीनों नए कानून भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे, जिन्हें अब बेअसर कर दिया गया है। गृह पर संसदीय स्थायी समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में अपनी आपत्तियां पेश की थीं। हाल ही में विपक्ष ने इन तीनों कानूनों की संसदीय समीक्षा की मांग उठाई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार को इन कानूनों को लागू नहीं करना चाहिए, क्योंकि संसद में इन्हें बहुत जल्दबाजी में पास किया गया था। इन्हें अमल में लाने से पहले इनकी संसदीय समीक्षा बहुत जरूरी है।

दूसरी ओर केंद्र सरकार और मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि तीनों कानूनों को लागू करने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की गई है। ये कानून आपराधिक न्याय व्यवस्था में प्रौद्योगिकी के व्यापक इस्तेमाल का रास्ता साफ करते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने ई-साक्ष्य, न्याय श्रुति और समन आदि तीन ऐप तैयार किए हैं। इन ऐप के जरिए घटना स्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करने में बहुत ही मददगार साबित होंगे। साथ ही मामले की न्यायिक सुनवाई एवं ऑनलाइन कोर्ट समन पहुंचाने में भी बहुत आसानी हो जाएगी।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने मौजूदा अपराध एवं क्रिमिनल निगरानी व्यवस्था (सीसीटीएनएस) एप्लीकेशन में 23 सुधार किए हैं, जिसके तहत देश के सभी थानों में सभी प्रकार के मामले दर्ज किए जाते हैं। नई व्यवस्था लागू करने के लिए एनसीआरबी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नए कानून लागू करने में तकनीकी मदद दे रहा है।

इन तीनों कानूनों में जीरो एफआईआर, ऑनलाइन शिकायत एवं इलेक्ट्रानिक माध्यम से समन और सभी जघन्य अपराधों में घटना स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी का प्रावधान शामिल हैं। नए कानून में कोई भी व्यक्ति थाने जाए बिना घटना की ऑनलाइन शिकायत कर सकता है। यही नहीं, पीडि़त क्षेत्राधिकार की चिंता किए बिना देश के किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करा सकता है।

सबूत एकत्र करने के दौरान घटना स्थल की अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी कराई जाएगी ताकि सबूतों के साथ छेड़छाड़ न की जा सके। पीडि़त और आरोपी दोनों को ही एफआईआर की कॉपी, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, स्वीकारोक्ति समेत मामले से जुड़े अन्य कागजात 14 दिन के भीतर हासिल करने के हकदार होंगे।

मामले को बेवजह लंबा नहीं खींचा जा सके, इसकी भी व्यवस्था नए कानून में की गई है। इसके लिए कोई भी अदालत मामले को अधिकतम दो सुनवाई तक ही टाल सकती है। नए कानूनों में गवाहों की सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम किया गया है। इसके लिए सभी राज्य सरकारों को अनिवार्य रूप से गवाह सुरक्षा योजना लागू करनी होगी। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए बीएनएस में नया अध्याय जोड़ा गया है।

First Published - June 26, 2024 | 10:33 PM IST

संबंधित पोस्ट