केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने तीन आपराधिक कानूनों को सही तरीके से लागू करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके लिए लगभग 40 लाख निचले स्तर के कर्मचारियों और करीब 5 लाख पुलिस एवं जेल कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है। संसद ने तीनों आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 को पिछले साल शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किया था। इसके बाद 25 दिसंबर को ही इन्हें अधिसूचित कर दिया गया था। तीनों कानून पूरे देश में 1 जुलाई से लागू हो जाएंगे।
ये तीनों नए कानून भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे, जिन्हें अब बेअसर कर दिया गया है। गृह पर संसदीय स्थायी समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में अपनी आपत्तियां पेश की थीं। हाल ही में विपक्ष ने इन तीनों कानूनों की संसदीय समीक्षा की मांग उठाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार को इन कानूनों को लागू नहीं करना चाहिए, क्योंकि संसद में इन्हें बहुत जल्दबाजी में पास किया गया था। इन्हें अमल में लाने से पहले इनकी संसदीय समीक्षा बहुत जरूरी है।
दूसरी ओर केंद्र सरकार और मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि तीनों कानूनों को लागू करने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की गई है। ये कानून आपराधिक न्याय व्यवस्था में प्रौद्योगिकी के व्यापक इस्तेमाल का रास्ता साफ करते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने ई-साक्ष्य, न्याय श्रुति और समन आदि तीन ऐप तैयार किए हैं। इन ऐप के जरिए घटना स्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करने में बहुत ही मददगार साबित होंगे। साथ ही मामले की न्यायिक सुनवाई एवं ऑनलाइन कोर्ट समन पहुंचाने में भी बहुत आसानी हो जाएगी।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने मौजूदा अपराध एवं क्रिमिनल निगरानी व्यवस्था (सीसीटीएनएस) एप्लीकेशन में 23 सुधार किए हैं, जिसके तहत देश के सभी थानों में सभी प्रकार के मामले दर्ज किए जाते हैं। नई व्यवस्था लागू करने के लिए एनसीआरबी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नए कानून लागू करने में तकनीकी मदद दे रहा है।
इन तीनों कानूनों में जीरो एफआईआर, ऑनलाइन शिकायत एवं इलेक्ट्रानिक माध्यम से समन और सभी जघन्य अपराधों में घटना स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी का प्रावधान शामिल हैं। नए कानून में कोई भी व्यक्ति थाने जाए बिना घटना की ऑनलाइन शिकायत कर सकता है। यही नहीं, पीडि़त क्षेत्राधिकार की चिंता किए बिना देश के किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करा सकता है।
सबूत एकत्र करने के दौरान घटना स्थल की अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी कराई जाएगी ताकि सबूतों के साथ छेड़छाड़ न की जा सके। पीडि़त और आरोपी दोनों को ही एफआईआर की कॉपी, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, स्वीकारोक्ति समेत मामले से जुड़े अन्य कागजात 14 दिन के भीतर हासिल करने के हकदार होंगे।
मामले को बेवजह लंबा नहीं खींचा जा सके, इसकी भी व्यवस्था नए कानून में की गई है। इसके लिए कोई भी अदालत मामले को अधिकतम दो सुनवाई तक ही टाल सकती है। नए कानूनों में गवाहों की सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम किया गया है। इसके लिए सभी राज्य सरकारों को अनिवार्य रूप से गवाह सुरक्षा योजना लागू करनी होगी। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए बीएनएस में नया अध्याय जोड़ा गया है।