सरकार राजमार्गों के लिए सड़क सुरक्षा सूचकांक पेश कर सकती है। इसके लिए सड़क और राजमार्ग क्षेत्र के विशेषज्ञों से बातचीत शुरू हो गई है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि एकसमान सड़क सुरक्षा मानक बनाने के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सोमवार को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के साथ मिलकर विभिन्न हिस्सेदारों के साथ बैठक की, जिसमें इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई है।
बैठक के दौरान उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, बीआईएस, आईआईटी दिल्ली और विश्व बैंक के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। मानक प्राधिकरण के तहत एक उच्च स्तरीय समिति राष्ट्रीय राजमार्गों, एक्सप्रेसवे, राज्य राजमार्गों और जिले की अन्य सड़कों के लिए सुरक्षा मानक तय करेगी, जिसमें उद्योग के प्रतिनिधि शामिल होंगे। आकलन और गुणवत्ता जांच में बीआईएस सड़क सुरक्षा संगठनों की भी मदद करेगी।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘सड़क सुरक्षा के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार का मुख्य ध्यान 4 E पर है। इसमें इंजीनियरिंग, शिक्षा, प्रवर्तन और आपातकालीन देखभाल शामिल है।’वाहनों की संख्या बढ़ने और सड़क नेटवर्क के तेजी से विस्तार के कारण भारत में बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसमें जन जागरूकता, इंजीनियरिंग (सड़क और वाहन दोनों की), प्रवर्तन और आपातकालीन देखभाल शामिल है।
हाल ही में सरकार ने अगले 3 माह में सभी राजमार्गों के लिए सड़क सुरक्षा ऑडिट के दिशानिर्देश दिए थे। इसमें निर्माणाधीन राजमार्ग और और यहां तक कि डिजाइनिंग के स्तर पर राजमार्गों के काम शामिल हैं।
इंजीनियरिंग के पहलुओं के लिए इंडियन रोड कांग्रेस संहिता के अलावा भारत में सड़क सुरक्षा के लिए प्रवर्तन और आपातकालीन देखभाल को लेकर कुल मिलाकर एकसमान मानक नहीं है। एक अधिकारी ने कहा, ‘इस समय अधिकारी सिर्फ इंजीनियरिंग के पहलुओं की जांच करते हैं, लेकिन हम कुल मिलाकर सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी नियम परिभाषित करने वाले मानक लाने जा रहे हैं।’
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक यात्रा के दौरान दुर्घटना के मामले 2020 में 3,68,828 थी, जो 2021 में बढ़कर 4,22,658 हो गई। इनमें 4,03,116 सड़क दुर्घटनाएं, 17,993 रेल दुर्घटनाएं और 1,550 रेलवे फाटक पर होने वाली दुर्घटनाएं थीं। एनसीआरबी के मुताबिक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की संख्या 2020 में 1,33,201 थी, जो 16.8 प्रतिशत बढ़कर 2021 में 1,55,622 हो गई है। सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या सरकार के लिए चिंता का विषय रही है।