भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दस्तावेज को ‘पथ प्रदर्शक’ और ‘जीवित धारा’ करार दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक भवन परिसर के सभागार में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना सदियों तक संविधान को जीवंत रखेगी। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में उनकी सरकार ने सामाजिक और वित्तीय बराबरी के उद्देश्य से शुरू की गई कई कल्याणकारी योजनाओं के जरिए संवैधानिक मूल्यों को बहुत मजबूत किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब पूरी तरह से संविधान की व्यवस्था लागू हो गई है और वहां पहली बार संविधान दिवस मनाया गया है। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल प्रति में प्रभु श्री राम, माता सीता, भगवान हनुमान, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर और गुरु गोविंद सिंह के चित्र अंकित हैं।
मोदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रतीक इन चित्रों को संविधान में इसलिए स्थान दिया गया, ताकि वे हमें मानवीय मूल्यों के प्रति सजग करते रहें। उन्होंने कहा, ‘यह मानवीय मूल्य आज के भारत की नीतियों और निर्णय का आधार है।’
उन्होंने कहा कि इसलिए नई न्याय संहिता लागू की गई है और दंड आधारित व्यवस्था अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है। उन्होंने कहा कि देश, काल और परिस्थिति के हिसाब से उचित निर्णय लेकर संविधान की समय-समय पर व्याख्या की जा सके, यह प्रावधान संविधान निर्माताओं ने किया है।
उन्होंने कहा कि वे (संविधान निर्माता) यह जानते थे कि भारत की आकांक्षाएं और उसके सपने समय के साथ नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह जानते थे कि आजाद भारत और आजाद भारत के नागरिकों की जरूरतें और चुनौतियां बदलेंगी, इसलिए उन्होंने संविधान को महज कानून की एक किताब बनाकर नहीं छोड़ा बल्कि, इसे एक जीवंत निरंतर प्रवाहमान धारा बनाया।
उन्होंने कहा, ‘हमारा संविधान, हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का मार्गदर्शक है। बीते 75 वर्षों में देश के सामने जो भी चुनौतियां आई हैं, हमारे संविधान ने हर उस चुनौती का समाधान करने के लिए उचित मार्ग दिखाया है।’अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान ने उन्हें जो काम दिया है, उसी मर्यादा में रहने का प्रयास करते हुए उन्होंने अपना संबोधन व्यक्त किया है और उन्होंने अतिक्रमण की कोई कोशिश नहीं की है।
देश भर की विधान सभाओं में संविधान दिवस मनाया गया। नई दिल्ली में संसद भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने इस मौके पर उन 15 महिलाओं के योगदान को भी याद किया, जो संविधान बनाने वाली संविधान सभा के 389 सदस्यों में शामिल थीं।
कांग्रेस ने इस मौके पर नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में संविधान रक्षक अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के सामने खड़ी दीवार को मजबूत करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संप्रग की सरकार ने मनरेगा, जमीन का अधिकार, भोजन का अधिकार आदि के जरिए उस दीवार को कमजोर करने का काम किया, लेकिन यह उतनी शिद्दत से नहीं हो पाया, जितना होना चाहिए था।
कांग्रेस के विभिन्न प्रकोष्ठों की ओर से आयोजित ‘संविधान रक्षक अभियान’ कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस चाहे कुछ भी कर लें, देश में जाति जनगणना और आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा तोड़ने का काम होकर रहेगा।
विपक्ष ने मंगलवार को कहा कि देश के कुछ हालिया घटनाक्रमों को देखते हुए संसद के दोनों सदनों में संविधान पर चर्चा कराई जानी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद परिसर में कहा कि उन्होंने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और राहुल गांधी ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर संविधान को अंगीकार किए जाने के 75वीं वर्षगांठ के मौके पर दो दिनों की चर्चा की मांग की है।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘सरकार की इसमें क्या राय है, वह हम देखेंगे। संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को देश के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने भी संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और भू-राजनीतिक नेता के रूप में उभरा है तथा इस बदलाव में देश के संविधान ने उल्लेखनीय योगदान दिया है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि भारत की यात्रा परिवर्तनकारी रही है।
भारत ने विभाजन और उसके बाद की भयावहता के बीच बड़े पैमाने पर निरक्षरता, गरीबी और संतुलन सुनिश्चित करने वाले मजबूत लोकतांत्रिक प्रणाली के अभाव से लेकर अब नेतृत्व करने वाला एवं आत्मविश्वास से भरा देश बनने तक का सफर तय किया है, लेकिन इस यात्रा के पीछे भारत का संविधान है, जिसने यह परिवर्तन लाने में मदद की है।
(साथ में एजेंसियां)