देश के पहले जलवायु विकास वित्त संस्थान (DFI) की योजना की राह में व्यवधान आ गया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बिजली क्षेत्र के कर्जदाताओं पीएफसी लिमिटेड और आरईसी लिमिटेड के जलवायु डीएफआई का प्रस्ताव खारिज कर दिया है।
हालांकि वित्त मंत्रालय ने इन दो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) से कहा है कि मौजूदा डीएफआई व्यवस्था के तहत वैश्विक जलवायु वित्तपोषण के लिए विभिन्न प्रबंध किए जा सकते हैं।
पिछले साल सितंबर में केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने पीएफसी (पहले के बिजली वित्त निगम) और आरईसी (पहले के ग्रामीण विद्युतीकरण निगम) के डीएफआई का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव की वकालत की थी। इससे पीएफसी और आरईसी वैश्विक जलवायु वित्तपोषण और नेट जीरो निवेश की व्यवस्था संचालित करने वाले देश के पहले संस्थान बन जाते।
बहरहाल सरकार और दो एनबीएफसी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने इस आधार पर खारिज कर दिया है कि देश में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए पहले ही डीएफआई है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘मंत्रालय का विचार है कि पीएफसी और आरईसी ने जिस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रस्ताव दिया है, उसके लिए डीएफआई टैग जरूरी नहीं है। साथ ही बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए पहले ही डीएफआई है और ऊर्जा पारेषण में बदलाव इसका हिस्सा होगा।’
नैशनल बैंक फॉर फाइनैंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट (एनबीएफआईडी) ऐक्ट, 2021 के मुताबिक डीएफआई के दर्जे से वित्तीय संस्थानों को विदेशी वित्तपोषण तक पहुंच बनाने, सार्वजनिक वित्त संस्थान (पीएफआई) की तुलना में बड़ी मात्रा में आसानी से कर्ज की मंजूरी देने में मदद मिलती है।
पीएफसी और आरईसी के अधिकारियों ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि डीएफआई टैग नहीं दिया गया है, लेकिन वित्त मंत्रालय ने उन्हें आश्वस्त किया है उन्हें अलग-अलग मामलों के आधार पर एनएबीएफआईडी के विभिन्न प्रावधानों व लाभों की सुविधा दी जा सकती है।
एक सूत्र ने कहा, ‘यह भी प्रस्ताव किया गया है कि दो एनबीएफसी गुजरात इंटरनैशनल फाइनैंस टेक सिटी या गिफ्ट सिटी में अपनी सहायक इकाई स्थापित कर सकती हैं, जिससे उन्हें देश के पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र की पेशकश के कुछ लाभ मिल सकेंगे।’
एक अधिकारी ने कहा, ‘यह विचार है कि पीएफसी और आरईसी की हरित महत्त्वाकांक्षा का बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा में कर्ज व उधारी के माध्यम से होगा। इसलिए गिफ्ट सिटी में मौजूदगी से उनकी इन जरूरतों की भरपाई हो सकेगी।’
पीएफसी और आरईसी दोनों ने गिफ्ट सिटी में सहायक इकाई खोलने की प्रक्रिया की पहल की है। हाल में कंपनी के परिणाम के बाद संवाददाता सम्मेलन में आरईसी लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक विवेक कुमार देवगन ने कहा था, ‘नए हरित ऊर्जा क्षेत्र के लिए डॉलर में उधारी की सुविधा देने के लिए आरईसी गिफ्ट सिटी में सहायक इकाई स्थापित कर रहा है।’
इसके साथ ही डीएफआई का दर्जा संभवतः नहीं मिलेगा, इसे देखते हुए दोनों कंपनियां देश में जलवायु और ऊर्जा में बदलाव के वित्त पोषण के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करने पर भी विचार कर रही हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके लिए किसी नियामकीय या कानूनी कदम की जरूरत नहीं होगी और केंद्रीय बिजली मंत्रालय उन्हें जलवायु वित्तपोषण के लिए नोडल एजेंसी घोषित कर सकता है।
पीएफसी के ऋण पोर्टफोलियो में परंपरागत बिजली उत्पादन की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत है और यह धीरे धीरे घट रही है। हरित ऊर्जा में ऋण बढ़ा है, लेकिन यह अभी इसके कुल कर्ज का 10 प्रतिशत बना हुआ है। पीएफसी के एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि कंपनी खुद को देश में ‘नेट जीरो एजेंसी’ के रूप में स्थापित करना चाहती है।
इसने हाल ही में मेमरेंडम आफ एसोसिएशन (एमओए) में संशोधन किया है, जिससे कुछ गैर बिजली क्षेत्रों को भी कर्ज दिया जा सके। आरईसी के मामले में देवांगन ने हाल ही में कहा था कि आरईसी अपने ऋण पोर्टफोलियो को डिकार्बनाइज करने पर विचार कर रही है, जिसके कुल कर्ज में हरित ऊर्जा की हिस्सेदारी ज्यादा होगी।
उद्योग के अनुमान के मुताबिक भारत को नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए 10 लाख करोड़ डॉलर निवेश की जरूरत होगी।