facebookmetapixel
देशभर में मतदाता सूची का व्यापक निरीक्षण, अवैध मतदाताओं पर नकेल; SIR जल्द शुरूभारत में AI क्रांति! Reliance-Meta ₹855 करोड़ के साथ बनाएंगे नई टेक कंपनीअमेरिका ने रोका Rosneft और Lukoil, लेकिन भारत को रूस का तेल मिलना जारी!IFSCA ने फंड प्रबंधकों को गिफ्ट सिटी से यूनिट जारी करने की अनुमति देने का रखा प्रस्तावUS टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, IMF का पूर्वानुमान 6.6%बैंकिंग सिस्टम में नकदी की तंगी, आरबीआई ने भरी 30,750 करोड़ की कमी1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरीICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धताIKEA India पुणे में फैलाएगी पंख, 38 लाख रुपये मासिक किराये पर स्टोर

Quick commerce की ‘तेजी’ पर जांच की दस्तक! CCI ने मांगी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी और छूट का सबूत

मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सीसीआई ने वितरकों की संस्था से कहा है कि वह एफएमसीजी उद्योग में प्रत्येक क्विक कॉमर्स कंपनी की प्रासंगिक बाजार हिस्सेदारी का ब्योरा दें।

Last Updated- April 07, 2025 | 11:05 PM IST
CCI

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरण महासंघ (एआईसीपीडीएफ) को पत्र लिखकर उनसे क्विक कॉमर्स कंपनियों के विरुद्ध की गई शिकायत के बारे में अतिरिक्त जानकारी मांगी है। एआईसीपीडीएफ ने गत माह अपने अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल की ओर से ब्लिंकइट, जेप्टो और इंस्टामार्ट के विरुद्ध शिकायत दाखिल की थी।

मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सीसीआई ने वितरकों की संस्था से कहा है कि वह एफएमसीजी उद्योग में प्रत्येक क्विक कॉमर्स कंपनी की प्रासंगिक बाजार हिस्सेदारी का ब्योरा दें। उसने इस बात को लेकर भी स्पष्टता चाही है कि क्या एफएमसीजी कंपनियों ने वितरण के लिए विशिष्ट समझौता किया है।

सीसीआई ने शिकायकर्ता से उपभोक्ता के स्थान, उपकरण या खरीद के व्यवहार के आधार पर किसी कंपनी द्वारा, किसी भी उपभोक्ता के साथ भेदभाव वाली कीमत वसूल किए जाने का सबूत चाहा है। इसके साथ ही किसी भी उत्पाद को लागत मूल्य से कम पर बेचे जाने का भी सबूत मांगा है।

आयोग ने इस बात के भी प्रमाण मांगे हैं जो दर्शाते हों कि क्विक कॉमर्स कंपनियों का कोई ऐसा समझौता है जिसके चलते उन्होंने दो उत्पादों को एक साथ जोड़ा हो और उन्हें उपभोक्ताओं को एक ही पैकेज में बेचा हो।

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी इस शिकायत का मुआयना किया जिसमें आरोप लगाया गया है कि क्विक कॉमर्स कंपनियां भारी छूट दे रही हैं और वे विशिष्ट आपूर्ति और वितरण समझौते करके अनुचित मूल्य व्यवहार अपना रही हैं और इस प्रकार उपभोक्ताओं को चीजें बेचते हुए प्रतिस्पर्धा को प्रभावित कर रही हैं।

एक बार औपचारिक शिकायत मिल जाने पर सीसीआई अगर साझा की गई जानकारी से संतुष्ट होता है तो जांच का आदेश दे सकता है। उसके पास यह विकल्प भी है कि वह शिकायत में शामिल पक्षों से टिप्पणियां आमंत्रित करे या जांच का आदेश देने से पहले शिकायतकर्ता से बात करे।

गत वर्ष एआईसीपीडीएफ ने वित्त मंत्रालय को फंड के उपयोग और क्विक कॉमर्स कंपनियों द्वारा फंड एकत्रित करने तथा वस्तुओं पर छूट देने को लेकर पत्र लिखा था। गत वर्ष अक्टूबर में उसने पहले सीसीआई को पत्र लिखकर वे तमाम मुद्दे उठाए थे जिनका सामना पारंपरिक आपूर्ति शृंखलाओं को क्विक कॉमर्स की तेज वृद्धि की बदौलत करना पड़ा था। इसमें कई कंपनियों द्वारा इन प्लेटफॉर्म्स को एफएमसीजी वस्तुओं के सीधे वितरक बनाने का मामला शामिल था।

फेडरेशन ने भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को भी एक पत्र लिखा जिसके बाद खाद्य क्षेत्र का प्रबंधन करने वाली इस संस्था ने ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स फूड कारोबार संचालकों से कहा था कि वे उपभोक्ताओं को किसी वस्तु की आपूर्ति करते समय यह सुनिश्चित करें कि उसकी एक्सपायरी डेट (खराब होने की तिथि) कम से कम 45 दिन दूर हो।

First Published - April 7, 2025 | 10:44 PM IST

संबंधित पोस्ट