मणिपुर की अर्थव्यवस्था को जातीय हिंसा का खमियाजा उठाना पड़ रहा है। सात महीने से जारी जातीय हिंसा के कारण राज्य का वस्तु एवं सेवा कर (संग्रह) अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में 19 फीसदी गिर गया है जबकि इस अवधि के दौरान देश का जीएसटी दो अंकों में बढ़ा है।
म्यांमार से सटे मणिपुर में हिंसा की शुरुआत 3 मई को हुई थी। इस क्षेत्र के पहाड़ों के मूल आदिवासी समूह कूकी का गैर आदिवासी बहुसंख्यक मैती से झगड़ा शुरू हुआ था। यह झगड़ा आदिवासियों को आरक्षण देने और मैदानी इलाकों में रहने वाले मैती से आर्थिक लाभ साझा करने के कारण हुआ।
मणिपुर पुलिस ने सितंबर में जानकारी दी थी कि 175 व्यक्ति मारे गए और आगजनी के कम से कम 5,172 मामले दर्ज हुए। पूर्वोत्तर भारत में रहने वाले कारोबार निकाय के अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ‘जीएसटी में 19 फीसदी कमी तो हुए नुकसान की झलक मात्र है। दरअसल मणिपुर में गैरअनौपचारिक अर्थव्यवस्था अच्छी खासी है और इस पर अत्यधिक प्रतिकूल असर पड़ा है। कई सूक्ष्म उद्योग जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं। वे बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं और कई बंद भी हो गए हैं। लोग रोजमर्रा के इस्तेमाल की जरूरतें राज्य के बाहर से अपने दोस्तों और परिजनों से प्राप्त कर रहे हैं क्योंकि ये इंफाल में बहुत महंगी हो गई हैं।’
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देश में सर्वाधिक खुदरा महंगाई वाले क्षेत्रों में से एक मणिपुर है। सितंबर में राज्य में खुदरा महंगाई 9.7 प्रतिशत थी। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की मणिपुर इकाई ने सितंबर में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर मांग की थी कि राज्य से जुड़े दोनों राजमार्गों दीमापुर से इंफाल (एनएच 2) और मणिपुर से असम (एनएच 37) पर यातायात की तुरंत निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित की जाए।
अधिकारी ने हालात के बारे में कहा, ‘ऐसे खराब भी नहीं हुए हैं लेकिन यह बेहतर भी नहीं हो रहे हैं। तनावपूर्ण माहौल कायम है। हम लोग यात्रा नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए मणिपुर से सूचना बाहर आना भी समस्या हो गई है।’
मणिपुर सरकार ने गुरुवार को अगले पांच दिनों 13 नवंबर तक राज्य के ज्यादातर हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार ने इस फैसले के पीछे यह तर्क दिया है कि असमाजिक तत्त्व सोशल मीडिया के जरिये तस्वीरें, भड़काऊ भाषण और वीडियो का उपयोग कर लोगों को भड़का सकते हैं और इसका राज्य की कानून व व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।’
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मणिपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर खेती पर आश्रित है। मणिपुर की 77 प्रतिशत अर्थव्यवस्था हथकरघा, हस्तशिल्प और रेशम उत्पादन आदि क्षेत्रों पर आश्रित है। अधिकारी ने बताया, ‘मणिपुर में गिनी-चुनी बड़ी स्वास्थ्य देखभाल इकाइयां और होटल हैं। स्वास्थ्य देखभाल इकाइयां ज्यादा प्रभावित नहीं हुई हैं लेकिन म्यांमार से पहले आने वाले मरीज आने बंद हो गए हैं। होटल उद्योग पर अत्यधिक प्रतिकूल असर पड़ा है। मणिपुर में कई स्टार्टअप हैं और वे बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।’
दूसरे अधिकारी ने कहा कि जातीय हिंसा का क्षेत्र पर दीर्घकालिक प्रतिकूल असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश का द्वार है। हम त्रिपक्षीय राजमार्ग और ट्रांस एशियन रेलवे की बात कर रहे हैं। ये परियोजनाएं देर से चल रही हैं। हमें उम्मीद है कि यह एक साल में संचालित हो पाएंगी। अगर ये परियोजनाएं संचालित भी हो जाती हैं तो जातीय हिंसा के इस दौर का असर लंबे समय तक रहेगा।’