अगर शेयरों को उपहार के तौर पर हस्तांतरित किया जाता है तब उन पर पूंजीगत लाभ कर (capital gains tax) नहीं लग सकता है बशर्ते बंबई उच्च न्यायालय के हालिया फैसले को मिसाल के तौर पर माना जाए। मुंबई के जय ट्रस्ट बनाम केंद्र सरकार से जुड़े एक मामले में अदालत ने यह फैसला सुनाया कि कोई उपहार बदले में कोई राशि लिए जाने जैसे बिना शर्त वाले लेन-देन का मसला होता है ऐसे में यह पूंजीगत लाभ कर के दायरे में नहीं आता है।
अदालत ने कर अधिकारियों द्वारा जारी किए गए पूनर्मूल्यांकन नोटिस को रद्द कर दिया जिसमें यह आरोप लगाए गए थे कि ट्रस्ट ने उपहार के रूप में शेयरों का हस्तांतरण कर एक विशिष्ट आयकर निर्धारण से बचने की कोशिश की।
अदालत ने माना कि उपहार स्वैच्छिक तरीके से दिया जाता है और ऐसे में इसके बदले कोई रकम आदि पाने की आवश्यकता नहीं है। जिन चीजों के बदले कोई राशि हासिल होती है उसके आधार पर ही मुनाफे या लाभ को मापा जा सकता है। जिन पर कर निर्धारित किया जाना था उसने एक ट्रस्ट के नाते आमदनी पर शून्य रिटर्न दाखिल किया था जिसे स्वीकार करते हुए उसकी प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई।
दरअसल ट्रस्ट ने सरकारी सूचीबद्ध कंपनियों, यूनाइटेड फॉस्फोरस (यूपीएल) और यूनिफॉस एंटरप्राइजेज लिमिटेड (यूईएल) के शेयरों के हस्तांतरण नेरका केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनसीपीएल) में किए थे। यह हस्तांतरण उपहार के तौर पर किया गया था और इसके बदले कोई रकम हासिल करने की बात नहीं थी। इसके बाद ट्रस्ट को एक नोटिस मिला और इसने मूल्यांकन की प्रक्रिया फिर से शुरू होने पर अपनी आपत्ति जताई। हालांकि मूल्यांकन अधिकारी ने इसे खारिज कर दिया।
ट्रस्ट ने इसे अदालत में एक रिट याचिका के जरिये चुनौती दी। अदालत ने यह माना कि पूंजीगत संपत्ति, ऐसी पूंजीगत संपत्ति का हस्तांतरण और इस तरह के हस्तांतरण से होने वाले मुनाफे/लाभ की तीनों शर्तें पूरी होती हैं तब पूंजीगत लाभ के तहत आयकर लगाया जा सकता है।