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यूपी में पराली जलाना पड़ेगा महंगा; सैटेलाइट से रखी जा रही नजर, जुर्माने के साथ होगी FIR

Stubble burning: पराली या फसलों के अवशेष को वेस्ट डिकम्पोजर के माध्यम से खाद बनाकर उपयोग किया जा सकता है।

Last Updated- October 15, 2023 | 6:54 PM IST
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Stubble burning: धान कटाई का सीजन शुरू होते ही उत्तर प्रदेश में पराली जलाने और इससे होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। प्रदेश सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर सैटेलाइट से निगरानी शुरू कर दी है और किसानों को रोकने के लिए लगातार निर्देश जारी किए जा रहे हैं। पराली जलाने वाले किसानों से जुर्माना वसूलने व FIR दर्ज कराने के आदेश जारी किए गए हैं।

पराली जलाई तो जुर्माने के साथ होगी FIR

प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने पराली जलाने को लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) दिल्ली के आठ जिलों व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दस जिलों को लेकर विशेष निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने इन जिलों के जिलाधिकारियों व संबंधित मंडलायुक्तों के साथ बैठक कर किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रेरित करने को कहा है।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को किसानों को पराली प्रबंधन के उपायों के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि किसानों से पराली न जलाने की अपील की जाए। वहीं इसके बाद भी अगर किसान पराली जलाते हैं, तो उनसे जुर्माना वसूल किया जाये और उनके खिलाफ FIR दर्ज करायी जाये।

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सैटेलाइट से रखी जा रही नजर

मुख्य सचिव ने कहा कि जिलों में पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखी जाये। राजस्व ग्राम के लिये लेखपाल की जिम्मेदारी तय की जाये कि वह अपने क्षेत्र में पराली जलाने की घटनायें न होने दे। ग्राम न्याय पंचायत, विकास खण्ड, तहसील एवं जिला स्तरीय टीमों का गठन कर जन जागरूकता एवं प्रवर्तन की प्रभावी कार्यवाही की जाये। उन्होंने कहा कि जिलों में उपलब्ध एकल कृषि यंत्र एवं फार्म मशीनरी बैंक का प्रयोग फसल अवशेष प्रबंधन के लिये किया जाये।

उन्होंने कहा कि किसानों को बताया जाए कि पराली जलाने की घटनाओं पर सैटेलाइट से लगातार निगरानी रखी जा रही है। पराली जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी जहरीली गैस निकलती है। इससे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, साथ ही सांस संबंधी कई बीमारियां फैलती है। पराली या फसलों के अवशेष को वेस्ट डिकम्पोजर के माध्यम से खाद बनाकर उपयोग किया जा सकता है।

पराली जलाने व इससे होने वाले प्रदूषण की दृष्टि से प्रदेश में गाजियाबाद, बुलन्दशहर, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, शामली, बागपत, हापुड़, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, मथुरा, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बाराबंकी, रामपुर, एटा, इटावा, संभल व बरेली जिलों को सबसे संवेदनशील माना गया है।

First Published - October 15, 2023 | 6:54 PM IST

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