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भारतीय क्रिमिनल कानून में बड़ा बदलाव, अब Mob Lynching में दोषियों को मौत की सजा

BNS विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं जो राजद्रोह को निरस्त करने और मॉब लिंचिंग और नाबालिगों से बलात्कार जैसे अपराधों के लिए अधिकतम मृत्युदंड दे सकते हैं।

Last Updated- August 11, 2023 | 9:37 PM IST
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गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लेने वाले नए विधेयक में राजद्रोह के अपराध के प्रावधान को पूरी तरह से निरस्त कर दिया जाएगा। शाह ने औपनिवेशिक युग के कानूनों को बदलने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिसमें कहा गया कि प्रस्तावित कानून देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे और भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की भावना को केंद्र में लाएंगे।

शाह ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) विधेयक 2023 पेश किया। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य (BS) विधेयक 2023 जो क्रमशः भारतीय दंड संहिता 1860, आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेंगे और कहा कि ये बदलाव तुरंत न्याय देने और लोगों की मौजूदा जरूरतों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक कानूनी प्रणाली बनाने के लिए किए गए हैं।

BNS विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं जो राजद्रोह को निरस्त करने और मॉब लिंचिंग और नाबालिगों से बलात्कार जैसे अपराधों के लिए अधिकतम मृत्युदंड दे सकते हैं। विधेयक में छोटे अपराधों के लिए दंड के रूप में पहली बार कम्युनिटी की सेवा के लिए कहा जा सकता है।

विधेयक में अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववादी गतिविधियां या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने जैसे नए अपराधों को भी लिस्ट किया गया है।

शाह ने कहा, “मैं सदन को आश्वस्त कर सकता हूं कि ये विधेयक हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे। उद्देश्य दंड देना नहीं, न्याय प्रदान करना होगा। अपराध रोकने की भावना पैदा करने के लिए दंड दिया जाएगा।” अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून गुलामी के संकेतों से भरे हुए थे, जिनका उद्देश्य उनके शासन का विरोध करने वालों को दंडित करना था।

उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से तीनों विधेयकों को गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति द्वारा जांच के लिए भेजने का भी आग्रह किया।

मंत्री ने कहा कि जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा उनका फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उसे मजबूत करना था, उनका आइडिया दंडित करना था न कि न्याय देना।

उन्होंने कहा, ”उन्हें रीप्लेस करके नए तीन कानून भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की भावना को केंद्र में लाएंगे।”

शाह ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या और राज्य के खिलाफ अपराधों को प्राथमिकता दी गई है और विभिन्न अपराधों को जेंडर-न्यूट्रल बना दिया गया है।

First Published - August 11, 2023 | 9:37 PM IST

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