गुजरात की डायमंड राजधानी सूरत में दस लाख हीरा कर्मचारियों के रोजगार पर काले बादल छा गए हैं। इसके पीछे की वजह G7 देशों ने रूस में खनन किए गए हीरों पर लगाए नए प्रतिबंध हैं। रूस के हीरों पर प्रतिबंध लगाने के G7 के ताजा फैसले ने सूरत में लगभग दस लाख हीरा श्रमिकों की नौकरी खतरे में डाल दी है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 10 में से 9 हीरे भारत में तराशे और पॉलिश किए जाते हैं। भारतीय व्यापारी हीरा खनन कंपनी अलरोसा से रूस के हीरों का आयात करते हैं। यह वैश्विक कच्चे हीरे के उत्पादन का 30 प्रतिशत है।
पहले से ही मांग में गिरावट और वैश्विक आर्थिक मंदी से जूझ रहे सूरत के हीरा श्रमिकों के लिए रूसी हीरों पर प्रतिबंध एक बड़ा झटका है। प्रतिबंधों के कारण अपरिष्कृत (rough) हीरों की आपूर्ति प्रभावित हुई है, जिससे हीरा व्यापारियों का काम भी प्रभावित हुआ है।
हालांकि, रिपोर्ट में जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के चेयरमैन विपुल शाह के हवाले से कहा गया है कि चूंकि वर्तमान में मांग कम है, इसलिए उद्योग कम आपूर्ति के साथ प्रबंधन करने में सक्षम है। उन्होंने कहा परेशानी तब आयेगी जब मांग में वृद्धि होगी।
बता दें कि हाल में जापान में हुई G7 की बैठक के बाद सात देशों के समूह ने एक बयान में कहा कि इसका उद्देश्य रूस द्वारा हीरे के निर्यात से उत्पन्न राजस्व को लक्षित करना है।
समूह ने कहा, “हम रूस में खनन, संसाधित या उत्पादित हीरों के व्यापार और उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे।”