महाराष्ट्र सरकार ने इस बार के बजट में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के पहले के बकाया कर को वसूलने के लिए फिर से विशेष कर्ज माफी (Amnesty Scheme) योजना लाई है। इस बिक्री कर माफी योजना से 1.80 लाख मामलों में फायदा होगा। महाराष्ट्र के कारोबारी सरकार की इस पहल की तो तारीफ कर रहे हैं लेकिन उद्योग जगत को ज्यादा प्राथमिकता न मिलने के कारण नाराजगी भी व्यक्त कर रहे हैं।
कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महाराष्ट्र इकाई के पदाधिकारियों का कहना है कि दुख की बात यह है की सरकार ने व्यापारियों को इस बजट में उपेक्षित किया है। व्यापारी किसानों की तरह ही पिछले 3 सालों के कोरना काल से पटरी से उतर चुके हैं इसलिए सरकार से आस लगाकर बैठे थे लेकिन सरकार ने व्यापारियों को निराश किया है सिर्फ GST पूर्व के लंबित मामलों के लिए एमनेस्टी योजना ही बजट में लागू की गई है।
बजट में कहा गया कि महाराष्ट्र में GST के लागू होने से पहले विभिन्न कानूनी प्रावधानों के अनुसार कर बकाया, ब्याज, जुर्माना या विलंब शुल्क के संबंध में 1 मई से 31 अक्टूबर तक विशेष माफी योजना चलाई जाएगी। योजना 1 मई, 2027 को लंबित सभी बकाया के लिए लागू होगी। वित्त मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बजट प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि वैधानिक आदेश के अनुसार दो लाख रुपये या उससे कम (किसी भी वर्ष के बावजूद) के बकाया को पूरी तरह से माफ कर दिया जाएगा। इस प्रस्ताव से छोटे व्यापारियों को लगभग एक लाख मामलों में लाभ होगा।
वैधानिक आदेश के अनुसार व्यापारियों के बकाया में 50 लाख रुपये या उससे कम, यदि वे राशि का केवल 20 फीसदी भुगतान करते हैं, तो बकाया राशि का 80 फीसदी माफ कर होगा। ऐसे लगभग 80,000 मामलों से छोटे और मध्यम व्यापारियों को लाभ होगा। फडणवीस ने अपने बजट भाषण में कहा कि महाराष्ट्र सेटलमेंट ऑफ एरियर ऑफ टैक्स, इंटरेस्ट, पेनल्टी आर लेट फी एक्ट-2023 इस साल 1 मई से 31 अक्टूबर तक लागू रहेगी। योजना में 1 मई 2023 से पहले के बकाए को शामिल किया जाएगा।
CAIT के महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि वर्तमान में प्रति माह 10,000 रुपये तक की आय वाली महिलाओं को पेशेवर कर से छूट दी गई है। अब यह सीमा बढ़ाकर 25,000 रुपये की जाएगी। इससे महिलाओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी। इस घोषणा से महिलाओं को व्यापार में आगे आने में प्रेरित किया जा सकता है एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अच्छा कदम है। इसके अलावा उद्योग जगत को बजट में कुछ नहीं मिला। पूरा बजट देखने के बाद पता चलता है कि इस बजट में उद्योग जगत को उपेक्षित किया गया।
CAIT मुंबई के अध्यक्ष दिलीप माहेश्वरी ने इस बजट का कड़ा विरोध जताते हुए कहा व्यापारी जिसको प्रदेश और देश के आर्थिक दृष्टि से रीढ़ की हड्डी कहा जाता है को इस बजट से कोई भी लाभ नहीं हुआ। हम इस बजट से बड़ी आश लगा कर बैठे थे लेकिन व्यापारियों को सिर्फ ठेंगा मिला है इसलिए हम इस बजट को कड़े शब्दों में विरोध जताते हैं। इस बजट से आने वाले चुनाव में व्यापारी एक होकर अपनी ताकत दिखाएंगे और सत्ताधारी दल को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि बजट महाराष्ट्र को देश में नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा। यह पिछले दस वर्षों में सबसे अच्छा बजट है, जो गरीबों किसानों, महिलाओं को न्याय देता और उद्योग धंधों के बुनियादों ढांचों को बढ़ावा देता है। बजट पिछले ढाई साल से राज्य की प्रगति में आ रही बाधा को दूर करेगा और निश्चित रूप से राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि पंचामृत सूत्र के अनुसार प्रस्तुत बजट आम जनता के विकास और महाराष्ट्र की प्रगति का मार्ग सुनिश्चित करने वाला है। बजट में किसानों, महिलाओं, युवाओं, कर्मचारियों उद्योगपतियों सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि दो शब्दों में कहे तो देवेंद्र फडणवीस का यह बजट गाजर हलवा है। मैंने बेमौसम बारिश से प्रभावित एक-दो किसानों से बात की तो पता चला कि अभी तक पंचनामा करने के लिए कोई उनके पास नहीं गया है। बड़ा सवाल यह है कि बजट में की गई घोषणाओं को कैसे लागू किया जाएगा? किसानों को गारंटीशुदा कीमत कैसे मिलेगी, इसे लेकर बजट में कुछ स्पष्ट नहीं है। बजट में आज बार-बार नरेंद्र मोदी के नाम का जिक्र किया गया। यह बजट समाज के सभी वर्गों की भावनाओं से खिलवाड़ करने का प्रयास है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि शिंदे-फडणवीस सरकार का यह बजट सिर्फ घोषणाओं की बरसात है। 6.8 फीसदी विकास दर से एक ट्रिलियन अर्थव्यवथा की कल्पना दिन में सपने देखने जैसा है। बजट में की गई घोषणाएं केवल कागजों पर रहेंगी, किसानों को इसका लाभ मिलेगा इसकी उम्मीद नहीं है। किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए बजट में एक भी शब्द नहीं बोला गया।