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बालासोर रेल दुर्घटना के बाद मंत्रालय ने खत्म की कई रुकावटें, ‘कवच’ जैसी जरूरतों के लिए बदले गए नियम

इंटरलॉकिंग व्यवस्था में गड़बड़ी को ही बालासोर हादसे की मूल वजह माना जा रहा है

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ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- June 25, 2023 | 11:30 PM IST

बालासोर रेल दुर्घटना के बाद रेल सुरक्षा व्यवस्था की खामियां सामने आ गई हैं। ऐसे में रेल मंत्रालय ने अहम सुरक्षा क्षेत्रों जैसे कवच, सिग्नलिंग और इंटरलॉकिंग की राह में आने वाले बड़े प्रशासनिक व्यवधान को खत्म कर दिया है। अब इस तरह की परियोजनाओं की वित्तीय मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड से आर्थिक औचित्य संबंधी मंजूरी नहीं लेनी होगी।

रेलवे बोर्ड के 22 जून के आदेश में कहा गया है कि टक्कर रोधी व्यवस्था कवच, इलेक्ट्रॉनिक, पैनल और रिले रूम इंटरलॉकिंग, ब्लॉक सिग्नलिंग, सेट्रलाइज्ड ट्रैफिक कंट्रोल और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन को अब केंद्र सरकार के वित्तीय नियम में ‘सुरक्षा छूट’ की श्रेणी में शामिल किया गया है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस आदेश की प्रति देखी है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कुछ परियोजनाएं रेलवे बोर्ड, वित्त मंत्रालय या कैबिनेट के स्तर पर अटक जाती हैं, क्योंकि इनके रेट आफ रिटर्न (RoR) की गणना सही नहीं होती है। इसकी वजह से कुछ परियोजनाओं में देरी होती है।’

अब तक इन कामों को लाभप्रदता के परीक्षण से गुजरना होता था। इस परीक्षण के तहत, ‘नए निवेश के किसी प्रस्ताव को तब तक वित्तीय रूप से उचित नहीं माना जा सकता है, जब तक कि उसमें यह नहीं दिखाया जाता है कि प्रस्तावित खर्च के बाद कामकाज के खर्च व सेवा की वार्षिक लागत पूरी करने के बाद अपेक्षित शुद्ध लाभ 10 प्रतिशत तक नहीं आता।’

पहली नजर में इंटरलॉकिंग व्यवस्था में गड़बड़ी को ही बालासोर हादसे की मूल वजह माना जा रहा है, जिसमें करीब 300 लोगों की मौत हो गई और करीब 1,000 लोग घायल हो गए। लेखा महानियंत्रक (CAG) की 2022 की रिपोर्ट में भी मंत्रालय द्वारा ज्यादा धनराशि आवंटित किए जाने के बावजूद आवश्यक सिगनलिंग और इंटरलॉकिंग संबंधी बुनियादी ढांचे के अभाव का उल्लेख किया गया है।

उल्लेखनीय है कि CAG ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि रेल सुरक्षा पर केंद्रित विशेष फंड राष्ट्रीय रेल संरक्षा फंड में मंत्रालय के अंशदान को अपर्याप्त पाया है, जबकि सुरक्षा कार्यों में तेजी लाने के मकसद से इस कोष का सृजन किया गया था।

इंडियन रेलवेज में पूर्व जनरल मैनेजर ललित चंद्र त्रिवेदी ने कहा ‘RoR अब बीती बात हो गई। आज सरकार बुनियादी ढांचे में धन डालना चाहती है, लेकिन रेलवे द्वारा उसे इस्तेमाल कर पाने की अक्षमता का मसला है।’

त्रिवेदी के मुताबिक समस्या की मूल वजह सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने और ज्यादा ट्रेन चलाने के दबाव के बीच संतुलन स्थापित करना है।

उन्होंने कहा, ‘सुरक्षा व अन्य कार्यों के प्रभारी अधिकारियों को काम करने के लिए यातायात रोकना होता है। साथ ही परिचालन से जुड़े प्रभारी अधिकारियों पर ज्यादा ट्रेनें चलाने का दबाव होता है, जिससे लोडिंग का लक्ष्य हासिल किया जा सके। ये जरूरतें एक दूसरे के विपरीत दिशा में हैं और यह मूल वजह है कि कवच आदि जैसी योजनाओं की प्रगति धीमी होती है।’

हालांकि मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि इस आदेश का दायरा राजस्व सृजन करने वाली वास्तविक परियोजनाओं तक नहीं जाता है। रेलवे बोर्ड ने आदेश में कहा है, ‘आगे यह भी स्पष्ट किया गया है कि सिग्नलिंग और टेलीकॉम संपत्तियां, जिनकी ट्रेन परिचालन में जरूरत नहीं है और उनका सृजन धन जुटाने के लिए किया गया है, उन्हें मुनाफे के परीक्षण से गुजरना होगा।’

First Published : June 25, 2023 | 8:28 PM IST