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Chandrayaan-3 के बाद Aditya L1, चांद ही नहीं अब सूरज भी होगा भारत का मिशन; ISRO की तैयारी पूरी

IUCAA के वैज्ञानिक प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया, ‘ISRO का सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ है जो धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक जायेगा और सूरज का अध्ययन करेगा

Last Updated- August 27, 2023 | 8:14 PM IST
ADITYA-L1 mission
ISRO

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अगले महीने के प्रारंभ में ‘सूर्य मिशन’ की तैयारी की में है । वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आदित्य एल -1 (Aditya L1) मिशन से अंतरिक्ष में मौसम की गतिशीलता, सूर्य के कोरोना के तापमान, सौर तूफान एवं उत्सर्जन एवं पराबैगनी किरणों के धरती, खासकर ओजोन परत पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा सकेगा।

Aditya L1 होगा सूर्य के लिए पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन

आदित्य-एल1 मिशन को दो सितंबर को भेजे जाने की संभावना है। यह सूर्य के अवलोकन के लिए पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि मिशन के तहत विभिन्न प्रकार का डाटा एकत्र किया जायेगा ताकि कोई ऐसी व्यवस्था बनायी जा सके कि नुकसानदेह सौर पवन एवं तूफान की जानकारी मिलते ही सवधानी का एलर्ट जारी किया जा सके।

क्या-क्या है ISRO की तैयारी ?

आदित्य एल1 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण ‘सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप’ (SUIT) को पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) ने तैयार किया है।

IUCAA के वैज्ञानिक एवं SUIT के मुख्य अन्वेषक प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया, ‘इसरो का सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ है जो धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक जायेगा और सूरज का अध्ययन करेगा।’ उन्होंने बताया कि सूरज से काफी मात्रा में पराबैंगनी किरणें निकलती है और इस टेलीस्कोप (SUIT) से 2000-4000 एंगस्ट्रॉम के तरंग दैर्ध्य की पराबैंगनी किरणों का अध्ययन किया जायेगा।

दुनिया में पहली बार होगा पराबैंगनी किरणों का अध्ययन

त्रिपाठी ने बताया कि इससे पहले दुनिया में इस स्तर की पराबैंगनी किरणों का पहले अध्ययन नहीं किया गया है। आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य L1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे।

भेजे जाएंगे 7 पेलोड, कुछ करेंगे सूरज की निगरानी तो कुछ करेंगे मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन

IUCAA के एक अन्य वैज्ञानिक प्रो. ए. एन. रामप्रकाश ने बताया कि Aditya L1 के साथ 7 पेलोड भी अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे । ये पेलोड सूरज की प्रकाशमंडल, वर्णमंडल और सबसे बाहरी परत का अध्ययन करेंगे। सात में से चार पेलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे जबकि तीन पेलोड परिस्थितियों के हिसाब से कणों और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेंगे। उन्होंने बताया कि सूरज की ऊपरी सतह पर कुछ विस्फोट होते रहते हैं लेकिन यह कब होंगे और इसके प्रभाव क्या होंगे, इसकी सटीक जानकारी नहीं है…ऐसे में इस टेलीस्कोप का एक उद्देश्य इनका अध्ययन करना भी है।

प्रो. रामप्रकाश ने बताया, ‘‘ इसके लिए हमने एक कृत्रिम बुद्धिमता (AI) पर आधारित तत्व विकसित किया है जो इसका डाटा (विस्फोटों का) एकत्र करेगा और उसका मूल्यांकन करेगा।’’

Aditya L1 को सूर्य-पृथ्वी की व्यवस्था के लाग्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां से सूर्य को बिना किसी व्यवधान या ग्रहण के लगातार देखने का लाभ मिलेगा।

First Published - August 27, 2023 | 7:34 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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