दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को CBI, ED, पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और अन्य से 2G स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आरोपी व्यक्तियों और कंपनियों को बरी किए जाने को चुनौती देने वाली अपीलों पर उनका पक्ष रखने को कहा है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि पक्षकार संक्षिप्त लिखित दलीलें दाखिल करेंगे जो पांच पन्नों से अधिक न हों। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के वकील ने अदालत से मामले को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का आग्रह किया, जब वह अपील करने के लिए अनुमति देने के पहलू पर बहस करेंगे। इस पर न्यायाधीश ने मामले में सुनवाई की तारीख 22 और 23 मई को निर्धारित की।
CBI के वकील ने कहा, ‘मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। मामले में दिन-प्रतिदिन की सुनवाई करने के लिए दिन में कोई भी समय निर्धारित कर दें।’ CBI ने हालांकि पहले अपील करने की अनुमति के मुद्दे पर अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं लेकिन न्यायाधीश के बदलने के कारण मामले पर उसे नए सिरे से बहस करनी होगी।
अपील के लिये अनुमति (लीव टू अपील) एक अदालत द्वारा उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती देने के लिए एक पक्ष को दी गई औपचारिक अनुमति होती है। इससे पहले, मामले की सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर न्यायमूर्ति बृजेश सेठी द्वारा की जा रही थी, जो 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए थे और समय की कमी के कारण 23 नवंबर को उन्होंने अपने पास से मामले की सुनवाई को हटा दिया था।
कार्यालय छोड़ने से पहले न्यायमूर्ति सेठी ने CBI और ED द्वारा दर्ज 2G घोटाले की जांच से उत्पन्न तीन मामलों में बरी हुए व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं और आवेदनों पर फैसला किया था। CBI के मुख्य मामले में दलीलें पूरी करने के बाद, उच्च न्यायालय प्रवर्तन निदेशालय (ED) के धनशोधन मामले की सुनवाई करेगा जिसमें सभी अभियुक्तों को विशेष अदालत ने बरी कर दिया था।
एक विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई और अन्य को घोटाले से जुड़े CBI और ED के मामलों में बरी कर दिया था। राजा और कनिमोई के अलावा, विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आर.के. चंदोलिया, यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (आरएडीएजे) के तीन शीर्ष अधिकारियों गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरि नायर को CBI द्वारा दर्ज किए गए मामले में बरी कर दिया था।
स्वान टेलीकॉम के प्रवर्तक शाहिद बलवा और विनोद गोयनका और ‘कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल को भी बरी कर दिया गया था। विशेष अदालत ने CBI मामले में स्वान टेलीकॉम (प्रा.) लिमिटेड, यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड, फिल्म निर्माता करीम मोरानी और कलैगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार को भी बरी कर दिया था।
उसी दिन, विशेष अदालत ने ED मामले में राजा, कनिमोई, द्रमुक सुप्रीमो एम. करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, करीम मोरानी, पी. अमृतम और शरद कुमार सहित 19 अभियुक्तों को भी बरी कर दिया।
ED ने विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए 19 मार्च 2018 को उच्च न्यायालय का रुख किया था। इसके एक दिन बाद CBI ने भी अपने मामले में आरोपियों की रिहाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।