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ऊर्जा में बदलाव के लिए 10 लाख करोड़ डॉलर की जरूरत

Last Updated- February 06, 2023 | 12:07 AM IST
It is important to be practical about energy sources

ऊर्जा के बदलाव पर जी-20 की समिति की पहली बैठक में शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि भारत को ऊर्जा में बदलाव के लिए 2070 तक 10 लाख करोड़ डॉलर की जरूरत होगी।

संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बिजली सचिव आलोक कुमार ने कहा कि बेंगलूरु में आयोजित बैठक में प्रमुख रूप से सस्ते वित्तपोषण पर ध्यान था।

कुमार ने कहा कि सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि निजी क्षेत्र की पूंजी को आगे आने की जरूरत है, वहीं जोखिम कम करने के लिए सार्वजनिक व्यय को भी सहायता देनी होगी।

उन्होंने कहा कि बिजली मंत्रालय को वित्तपोषण की जरूरतों का अनुमान लगाने की जिम्मेदारी दी गई है, वहीं वित्त मंत्रालय को विदेश के हिस्सेदारों से बात करनी है और वित्त का इंतजाम करना है।

कुमार ने कहा कि एशियन डेवलपमेंट बैंक और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय संस्थानों ने बिजली संयंत्रों और अपतटीय पवन उर्जा इकाइयों जैसी विशेष ऊर्जा बदलाव परियोजाओं को समर्थन देने का प्रस्ताव किया है।

सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि सरकार अगले 3 महीने में कार्बन कैप्चर पर नई नीति लाने पर काम कर रही है। इस सम्मेलन में कार्बन कैप्चर, इस्तेमाल और इसके भंडारण पर एक अलग सेमीनार का भी आयोजन हुआ।

अमेरिका की कार्बन कैप्चर फर्म दस्तूर एनर्जी, जिसने इसके पहले नीति आयोग के हवाले से रिपोर्ट जारी की थी, इस सेमीनार में मौजूद थी। एनटीपीसी की फ्लू गैस सीओ2 से मेथनॉल सिंथेसिस पर एक 3-डी मॉडल भी एनटीपीसी के कार्यक्रम में दिखाया गया।

यह संयंत्र जीवाश्म ईंधन पर आधारित बिजली संयंत्रों से सीओ2 उत्सर्जन घटाने और इसे उपयोगी हाइड्रोकार्बन या मेथनॉल में बदलने के लिए प्रस्तुत किया गया है।

तीन दिन के आयोजित कार्यक्रम में पहले दिन भारत के जी20 ऊर्जा बदलाव योजना के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा हुई। इसमें तकनीकी अंतर खत्म करने, ऊर्जा में बदलाव के लिए सस्ते वित्तपोषण, भविष्य के ईंधन जैसे एथेनॉल और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे बॉयोफ्यूल पर बातचीत हुई।

इसके साथ ही उच्च क्षमता के ईंधन सेल, इलेक्ट्रोलाइजर, एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल, स्माल मॉड्यूल रियेक्टरों पर चर्चा हुई। ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में कुमार ने कहा कि भारत का मकसद ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए उच्च स्तर के सिद्धांत तैयार करना है। इसके साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन के लिए भारत में एक उत्कृष्टता केंद्र का प्रस्ताव दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘कुछ देशों ने प्रस्ताव किया है कि नीतिगत चर्चा में नाभिकीय ऊर्जा से ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर भी विचार होना चाहिए।’

बहरहाल उन्होंने कहा कि भारत ने इस बात पर जोर दिया कि नाभिकीय ऊर्जा अभी भी ऊर्जा के लिए गैर अक्षय स्रोत बना हुआ है।  इसके पहले बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि भारत मौजूदा ऊर्जा आधार की उपलब्धता से कोई समझौता नहीं करेगा और ऊर्जा सुरक्षा के सभी व्यावहारिक स्रोतों की संभावना तलाशेगा।

उन्होंने कहा कि ऊर्जा में बदलाव के लिए कार्यसमूह की बैठक इस दिशा में एक खाका तैयार करने के शुरुआती मंच के रूप में काम करेगी। मंत्री ने कहा कि 2020 में भारत का प्रति व्यक्ति ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन 6.3 टी सीओ2 ई के वैश्विक औसत की तुलना में कम रहा है।

First Published - February 6, 2023 | 12:07 AM IST

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