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…छपा पोस्टर और निकली कविता, हिंदी साहित्य में रचनात्मकता का नया रूप

कविता पोस्टर यानी कविता के साथ इस तरह का रेखांकन या चित्र संयोजन जो उस कविता को और भी अर्थवान बनाते हुए नए मायने प्रदान करे।

Last Updated- September 14, 2024 | 7:49 AM IST
...Poster printed and poem published, new form of creativity in Hindi literature ...छपा पोस्टर और निकली कविता, हिंदी साहित्य में रचनात्मकता का नया रूप

यदि आप हिंदी साहित्य से थोड़ा-बहुत भी वास्ता रखते हैं तो आपके मोबाइल स्क्रीन या मेल बॉक्स में किसी न किसी चर्चित हिंदी कविता का पोस्टर अवश्य आया होगा। कविता पोस्टर यानी कविता के साथ इस तरह का रेखांकन या चित्र संयोजन जो उस कविता को और भी अर्थवान बनाते हुए नए मायने प्रदान करे।

हिंदी में कविता पोस्टरों का इतिहास नया नहीं है और एक समय हस्तलिखित कविता पोस्टर राजनैतिक और सामाजिक विरोध प्रदर्शनों का हथियार भी हुआ करते थे। समय के साथ इन्होंने भी तकनीक को अपनाया और अब ये नए रूप में हमारे सामने हैं। कविता पोस्टर बनाने वाले रचनाकर्मियों की एक ही पीड़ा है कि दशकों से इस विशिष्ट काम में लगे होने के बावजूद साहित्यिक-सांस्कृतिक जगत इन कविता पोस्टरों को स्वतंत्र विधा नहीं मानता है।

हिंदी की चुनी हुई कविताओं को अपने रेखांकन से सजाने वाले युवा कवि-चित्रकार रोहित रूसिया कहते हैं, ‘मैं यह काम स्वांत: सुखाय करता हूं। अपनी पसंद से कविताओं का चयन करके पोस्टर बनाता हूं लेकिन एक अफसोस साथ-साथ चलता है कि कड़ी मेहनत और रचनात्मकता के बावजूद पोस्टर निर्माण को वह मान्यता नहीं हासिल जो ललित कलाओं को हासिल है।’

अपने कविता पोस्टरों के लिए ख्याति हासिल कर चुके वरिष्ठ कवि अनिल करमेले कहते हैं, ‘मैंने पोस्टर बनाना इसलिए शुरू किया क्योंकि मैं अपने समकालीन पोस्टर बनाने वालों की कृतियों से बहुत अधिक संतुष्ट नहीं था। कविता पोस्टरों की दुनिया में रेखांकनों का एक खास पैटर्न सा बन गया था जो कविता को अभिव्यक्त नहीं कर पाते थे। मैंने इसके लिए पेंटिंग्स और चित्रों को चुना और कविता के मूड (खुशी, बिछोह, प्रेम) के मुताबिक रंगों का संयोजन करना शुरू किया जो बहुत लोकप्रिय हो गया।’

करमेले कहते हैं, ‘मैं अपने परिचितों को व्हाट्सऐप पर अपने पोस्टर भेजता हूं। कोविड काल में मेरे पास एक दिन एक परिचित महिला चिकित्सक का फोन आया।

उन्होंने शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि कोविड काल में जब वह क्वारंटीन थीं तब मेरे कविता पोस्टरों ने ही उनका साथ दिया। इस बात से मुझे अहसास हुआ कि पोस्टर लोगों को किस-किस तरह से प्रभावित करते हैं।’

कविता पोस्टर बनाने वाले रचनाकारों का मानना है कि इस विधा में व्यावसायिक संभावनाएं भी बहुत हैं। कविता पोस्टर्स की व्यावसायिक बिक्री के अलावा कॉफी मग्स और कविता पोस्टर वाली टी-शर्ट्स की मांग भी अवसरों के नए द्वार खोलती है।

रोहित रूसिया, अनिल करमेले, पंकज दीक्षित और विनय अम्बर समेत विभिन्न पोस्टर रचनाकारों ने न केवल देश बल्कि विदेशों के प्रतिष्ठित कविताओं को हिंदी के पाठक जगत तक बेहतर आस्वाद के साथ पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है लेकिन उन्हें अभी भी इस काम का समुचित श्रेय मिलना शेष है।

First Published - September 14, 2024 | 7:46 AM IST

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