RBI Floating Rate Savings Bonds : अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं (small savings schemes) पर ब्याज दरों को लेकर सरकार एक-दो दिनों में निर्णय ले सकती है। छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का निर्धारण हर तिमाही किया जाता है। इस बात की संभावना है कि सरकार आने वाली तिमाही के लिए एनएससी (NSC) सहित अन्य छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में इजाफा कर सकती है। अगर NSC पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है तो इस स्कीम में निवेश करने वालों के लिए तो खुशखबरी होगी लेकिन वैसे निवेशक और ज्यादा खुश होंगे जिन्हें ज्यादा ब्याज के साथ-साथ नियमित आमदनी की दरकार है।
बगैर जोखिम लिए बैंक एफडी (bank FD) के मुकाबले ज्यादा रिटर्न और नियमित तौर पर आमदनी को ध्यान में रखकर ज्यादातर लोग आम तौर पर सरकार की दो बेहद लोकप्रिय छोटी बचत योजनाओं – सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम और पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम का चुनाव करते हैं। लेकिन जैसा की नाम से ही स्पष्ट है सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) में सिर्फ सीनियर सिटीजन ही पैसा जमा कर सकते हैं। फिर बारी आती है, पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम (MIS) की। इस स्कीम में उम्र को लेकर कोई बाध्यता नहीं है। यह स्कीम भी वन-टाइम इन्वेस्टमेंट स्कीम है। इस पर फिलहाल ब्याज 7.4 फीसदी है।
लेकिन अगर आप नियमित आमदनी के साथ 8 फीसदी से ज्यादा ब्याज चाहते हैं तो आपके लिए एक विकल्प है – आरबीआई की फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड 2020 ( RBI Floating Rate Savings Bonds, 2020)। सरकार ने जुलाई 2020 में फिक्स्ड 7.75 फीसदी आरबीआई सेविंग बॉन्ड की जगह पर फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड लॉन्च किया था। सरकार (आरबीआई) द्वारा जारी होने के कारण ये बॉन्ड बेहद सुरक्षित हैं।
इस बॉन्ड पर फिलहाल (जुलाई –दिसंबर छमाही) ब्याज/कूपन रेट 8.05 फीसदी है। यदि सरकार अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करती है तो अगले वर्ष 1 जनवरी से इस फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड पर ब्याज दरों में और इजाफा हो सकता है।
यह एक फ्लोटिंग रेट बॉन्ड है। इसलिए पूरे टेन्योर के दौरान ब्याज इस पर एक समान नहीं रहता। इस बॉन्ड पर ब्याज का निर्धारण हर छह महीने पर यानी 1 जुलाई और 1 जनवरी को किया जाता है। जबकि इस बॉन्ड पर ब्याज के निर्धारण के लिए नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) को बेंचमार्क माना गया हैं।
1 जुलाई और 1 जनवरी को जो ब्याज एनएससी (NSC) पर होता है, उससे 35 बेसिस प्वाइंट अधिक ब्याज संबंधित छमाही के लिए बॉन्ड धारकों को मिलता है। जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए सरकार NSC पर 7.7 फीसदी ब्याज दे रही है, इसलिए मौजूदा छमाही (जुलाई –दिसंबर) के लिए इस बॉन्ड पर ब्याज/कूपन रेट 8.05 फीसदी है।
यदि सरकार अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करती है तो NSC पर मिलने वाले ब्याज दर के हिसाब से अगले वर्ष 1 जनवरी से इस फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड पर ब्याज दरों में और इजाफा हो सकता है।
सरकार अगर अगली तिमाही के लिए नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट पर ब्याज दरों में बढोतरी नहीं भी करती है तो कम से कम ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बरकरार तो जरूर रखेगी। जानकारों के अनुसार अगली तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज दरों में कटौती की तो कोई संभावना नहीं है।
इस बॉन्ड को लेकर अब कुछ और बात कर लेते हैं :
आरबीआई ने सभी सरकारी (राष्ट्रीयकृत) बैंकों, चुनिंदा निजी बैंकों जैसे, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और आईडीबीआई बैंक को इस बॉन्ड को जारी करने के लिए अधिकृत किया है। वर्ष के दौरान कभी भी इस बॉन्ड में निवेश इंडिविजुअल, ज्वाइंट या नाबालिग के अभिभावक के तौर पर किया जा सकता है। बॉन्ड में निवेश के लिए आप अप्लाई ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से कर सकते हैं।
आप कम से कम 1000 रुपये मूल्य का बॉन्ड खरीद सकते हैं। इसके बाद आपको 1000 रुपए के गुणक (multiples) में ही निवेश करना होगा, जबकि अधिकतम निवेश की कोई लिमिट नहीं है। बॉन्ड का लॉक-इन पीरियड (मैच्योरिटी) इसके जारी होने की तारीख से सात साल है। सात साल से पहले आप इस बॉन्ड को रिडीम नहीं कर सकते।
60 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को प्रीमैच्योर रिडेम्पशन की सुविधा है। नियमों के अनुसार 60 से 70 साल के निवेशक 6 वर्ष के बाद, 70 से 80 साल के निवेशक 5 वर्ष के बाद, जबकि 80 साल से ऊपर के निवेशक 4 वर्ष के बाद प्रीमैच्योर रिडेम्पशन कर सकते हैं। लेकिन प्रीमैच्योर रिडेम्पशन पर पेनाल्टी का भी प्रावधान किया गया है। पेनाल्टी के रूप में होल्डिंग पीरियड के अंतिम छह महीने के लिए देय ब्याज का 50 फीसदी वसूला जाता है।
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इस बॉन्ड पर क्युमुलेटिव ऑप्शन यानी मैच्योरिटी के साथ ब्याज देय नहीं है। मतलब ब्याज हर छह महीने पर बॉन्ड धारक के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
इस बॉन्ड पर न तो जमा करने पर और न ही अर्जित रिटर्न पर टैक्स की छूट है। ब्याज की रकम निवेशक की इनकम में जुड़ जाती है और निवेशक को उसके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 193 के मुताबिक इस बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज पर 10 फीसदी टीडीएस का भी प्रावधान है। लेकिन टीडीएस तभी कटेगा, जब ब्याज एक वित्त वर्ष में 10 हजार रुपए से ज्यादा हो।
इस बॉन्ड की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर नहीं हो सकती। इस बॉन्ड को ट्रांसफर भी नहीं किया जा सकता। यानी इसके साथ लिक्विडिटी की सुविधा नहीं है। साथ ही इस बॉन्ड को लोन लेने के लिए कोलैटरल/ सिक्योरिटी की तरह इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता।
वैसे निवेशक जिनकी सालाना इनकम 5 लाख रुपए से कम है, साथ ही जिन्हें सात वर्ष तक निवेश करने में कोई दिक्कत नहीं है उनके लिए यह बेहतर विकल्प है।