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कारोबार के नए क्षेत्रों से बढ़ाएंगे अपना बीमा व्यवसाय

Last Updated- December 10, 2022 | 7:11 PM IST

इस साल टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस को कई परेशानियों से दो चार होना पडा है। सबसे पहली परेशानी एआईजी से झेलनी पड़ी, जिसकी टाटा के साथ संयुक्त उपक्रम में 26 फीसदी हिस्सेदारी है।
इसके अलावा कंपनी को मुंबई आतंकी हमले में क्षतिग्रस्त ताज महल पैलेस और टावर के दावों का निपटान करना पडा। सत्यम फर्जीवाड़े के बाद  कंपनी की मुसीबतें और बढ़ गईं। शिल्पी सिन्हा ने टाटा एआईजी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी गौरव गर्ग से इन सभी मुद्दों और अगले साल की उनकी रणनीति के बारे में बात की:
इस समय आपके संयुक्त उद्यम में साझेदार एआईजी परेशानियों से जूझ रही हैं, इसे लेकर आप कोई समस्या देख रहे हैं?
टाटा एआईजी का नियंत्रण भारतीय नियामक द्वारा होता है। हमें संयुक्त उपक्रम को लेकर, जिसमें कि टाटा सन्स की 74 फीसदी हिस्सेदारी है, कोई परेशानी नजर नहीं आ रही है। हम सभी दृष्टिकोण से दुरुस्त हैं और चिंता की कोई बात नहीं है।
वित्त वर्ष 2008-09 आप की नजरों में कैसा रहा? ऐसा नहीं लगता कि यह साल आप के लिए मुसीबतें लेकर आया क्योंकि मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद क्षतिग्रस्त संपत्तियों के दावों के रूप में बड़ी राशि का भुगतान करना पड़ा?
निश्चित तौर पर यह साल हमारे लिए दुभार्ग्यपूर्ण रहा। मुंबई आतंकी हमले में हमने दावों के 24 घंटे के भीतर बीमित राशि का भुगतान किया। हमले के अगले दिन ही हमारे प्रतिनिधि वारदात की जगह पर संपत्तियों की क्षति का जायजा लेने के लिए पहुंच गए थे। जहां तक सत्यम की बात है तो कुछ कारणवश हम इस पर कुछ क हने की स्थिति में नहीं हैं।
वैश्विक वित्तीय संकट का सामान्य बीमा कंपनियों के कारोबार पर कितना असर पडा है?
कई लोगों ने सितंबर में आए वित्तीय संकट को वित्तीय सुनामी का नाम दिया है। इस सुनामी का सबसे पहला असर वाहनों की बिक्री पर पडा। दीगर बात है कि सामान्य बीमा कारोबार में 50 फीसदी हिस्सेदारी मोटर बीमा की होती है और इस लिहाज से हमारे कारोबार पर इसका खासा असर पडा। गैर-महत्वपूर्ण यात्रा के टल जाने के बाद इस वित्तीय संकट की चपेट में इसके बाद ट्रेवल बीमा आई।
तीसरी बात यह रही कि मंदी की वजह से कई परियाजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके अलावा आईपीओ भी उन क ारकों में रहा जिसके कारण हमारे कारोबार पर असर पड़ा क्योंकि बीमा कारोबार से जुड़े आईपीओ आज कल बाजार में नहीं आ रहे हैं। मैरिन ट्रेडिंग कारोबार में भी धीमापन आया है जिस वजह से भी हमारे कारोबार पर असर पडा है।
आपको लगता है कि वित्त वर्ष 2009-10 में हालात सुधरेंगे?
 मार्च में पॉलिसियों के नवीकरण के बाद बीमा उद्योग में कुछ तेजी जरूर आएगी। उसके बाद हमारी नजर इस बात पर होगी कि विश्व पुनर्बीमा बाजार में किस तरह की हलचल हो रही है। हालांकि बीमा की दरें और कुछ अन्य चीजों की शर्तों पर कुछ हद तक प्रभाव पड सकता है।
सरकार अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए काफी कुछ कर रही है और इसी तरह बैंक भी अपने ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं। हम इस बात को लेकर बहुत खुश है कि फिलहाल भारत ही ऐसी जगह है जो इस मंदी के समय में भी 7 फीसदी के विकास दर की बात कर रहा है जबकि विश्व की कोई भी अन्य अर्थव्यवस्था इस स्थिति में नहीं है। 
इस वित्तीय संकट से भारत अन्य अर्थव्यवस्थाओं की अपेक्षा कम प्रभावित हुआ है। हमें आशा है वित्त वर्ष 2009-10 में हमारा कारोबार सकल घरेलू उत्पाद के दोगुने स्तर से आगे बढ़ेगा।
आने वाले समय में आपकी क्या रणनीति होगी?
सामान्य बीमा कारोबार में अभी तक वास्तविक रूप में विकास की कोई भी बात उभर कर सामने नहीं आई है। सकल घेरलू उत्पाद पिछले एक दशक में अपनी जगह पर कायम है और इसकी पहुंच आम लोगों तक अभी भी नहीं हो पाई है।
नतीजतन, हो यह रहा है कि वितरण का काम मौजूदा बिन्दुओं तक ही सीमित हो गया है और सकल घरेलू उत्पाद के साथ सिर्फ जैविक विकास ही हो रहा है। हमारा लक्ष्य कारोबार के नए क्षेत्रों में प्रवेश करना है जिससे चले आ रहे इस पैटर्न को बदलने में कामयाबी मिल सके।
हम छोटे और लघु उद्योग के कारोबार में प्रवेश कर रहे हैं जहां सभी छोटे और मध्यम स्तर के कारोबार के लिए पैकेज पॉलिसी उपलब्ध होगी। इसके अलावा हमारी नजर अल्ट्रा एकदम अमीर निवेशकों पर भी होगी जिसके लिए हम निजी क्लाइंट समूह की शुरुआत कर रहे हैं।

First Published - March 7, 2009 | 3:16 PM IST

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