यूलिप पर लगे सेवा कर ने अब इसे और महंगा कर दिया है। कर के बाद अब सवाल यह उठता है कि क्या उद्योग जगत इस नुकसान को खुद ही झेलेगा या अपने ग्राहकों की ओर एक और अनचाहा तोहफा उछाल देगा। बजट
शुरुआत में ऐसा लग रहा था, जैसे कि यह सेवा कर कोष प्रबंधन शुल्क पर ही लगाया जाएगा। पर अब यह स्पष्ट हो गया है कि इस कर को कोष प्रबंधन शुल्क के अलावा अन्य शुल्कों जैसे कि प्रीमियम आवंटन शुल्क, पॉलिसी संचालन शुल्क, फंड विकल्प बदलने पर शुल्क (स्विचिंग चार्ज) आदि पर भी लगाया जाएगा। फिलहाल सेवा कर सभी बीमा पॉलिसियों में सिर्फ मर्त्यता शुल्क (मॉटर्ेलिटी चार्ज)पर ही लगाया जा रहा है।
सेवा कर में हुई इस अतिरिक्त वृध्दि परंपरागत पॉलिसियों और यूलिप में अंतर ला देगी
, जिसे लेकर बीमा कंपनियां नाखुश हैं। क्योंकि आज कल होने वाली 75-85 प्रतिशत बीमा पॉलिसियां यूलिप होती हैं। साथ ही बीमा कंपनियों को इस बात पर भी यकीन नहीं हैं कि वे इस नुकसान को खुद ही वहन कर पाएंगी या नहीं। आखिर बीमा लंबी अवधि वाला कारोबार है और ऐसे में अतिरिक्त लागत उन्हें लाभ–अलाभ की स्थिति की ओर धकेल देगी।शायद यही वजह है कि अभी तक इस अतिरिक्त बोझ को ग्राहकों पर डालने पर भी कोई संकेत नहीं दिए गए हैं। यूलिप की लागत पर इस बोझ का क्या असर दिखाई देगा, चलिए इसके लिए कुछ गणनाओं पर एक नजर डालते हैं।
मान लेते हैं कि एक यूलिप के मामले में एक वर्ष के लिए दिया गया प्रीमियम
10 हजार रुपये है, जिसे 10 साल तक देना है। इस पॉलिसी की बीमा राशि 1 लाख रुपये है। इस पर 30 वर्ष की आयु में मर्त्यता शुल्क प्रति एक लाख रुपये 146 रुपये है, जो 40 वर्ष की आयु तक बढ़ कर प्रति एक लाख रुपये पर 248 रुपये हो जाता है।इसमें हमने प्रति वर्ष प्रीमियम में 5.44 प्रतिशत की दर से इसे बढ़ाया है। साथ ही हमने यह भी माना है कि जिस फंड में निवेश किया गया है उसमें 80 प्रतिशत इक्विटी और 20 प्रतिशत ऋण शामिल है, जो प्रति वर्ष 12 प्रतिशत की दर से विकास करता है।
ऊपर दिए गए आंकडों के अनुसार अब हम लागत निकालने की कोशिश करते हैं। पहले साल में प्रीमियम आवंटन शुल्क
20 प्रतिशत और दूसरे साल में 7.5 प्रतिशत होगा। इसके बाद से प्रति वर्ष यह शुल्क 4 प्रतिशत रहेगा। इस पर किसी प्रकार का कोई पॉलिसी संचालन शुल्क नहीं है। फंड प्रबंधन शुल्क इस फंड के लिए 2.25 प्रतिशत है।जब इन सभी शुल्कों पर सेवा कर लगाया जाएगा, तब यूलिप की कुल राशि 2.65 प्रतिशत कम हो जाएगी। (तालिका देखें)। अंतिम राशि 1,57,347 रुपये होने की बजाए 1,53,190 रुपये रह जाएगी। अगर बीमा कंपनियां पूरी तरह से सेवा कर के इस अतिरिक्त बोझ को ग्राहकों पर डाल देंगी, ऐसी स्थिति में इसमें कुल 4,157 रुपये का कुल नुकसान दिखाई दे रहा है।
अगर प्रीमियम आवंटन शुल्क शुरुआती वर्षों में अधिक हो जाएगा तो लागत खुद
–ब–खुद बढ़ जाएगी। साथ ही इस उदाहरण में अभी पॉलिसी प्रबंधन शुल्क को शामिल नहीं किया गया, जिसकी बदौलत निवेशकों के लिए यूलिप जैसा पहले से ही महंगा सौदा और भी अधिक महंगा हो जाएगा। यूलिप में निवेश करने वाले किसी भी निवेशक को समझ जाना चाहिए कि सेवा कर में हुई इस अतिरिक्त वृध्दिके बाद, उन्हें मिलने वाली अंतिम राशि में थोड़ी कमी जरूर आएगी।
लेकिन अगर बीमा की यह राशि इससे अधिक हुई और जब इसमें अन्य शुल्क भी शामिल किए जाएंगे तो अंतिम राशि में यह थोड़ी–सी कमी बढ़ कर और बड़ा रूप ले लेगी और निवेशक के हाथ में 10 साल बाद कम मुनाफा ही आएगा। हालांकि, यूलिप निवेशक, जब बाजार में गिरावट का दौर चल रहा हो, ऐसी स्थिति में वे निशुल्क फंड विकल्प को बदल कर ऋण फंड में निवेश कर सकते हैं। कम से कम यूलिप निवेशकों के लिए कोई एक जगह तो है, जहां वे राहत की सांस ले सकते हैं।
लेखक प्रमाणित योजनाकार हैं।