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पीएफआरडीए के स्टार्टअप निवेश में मूल्यांकन की अड़चन

Last Updated- December 12, 2022 | 1:48 AM IST

पेंशन फंड नियामक सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने आज कहा कि पेंशन फंड प्रबंधकों (पीएफएम) को स्टार्टअप में निवेश की मंजूरी देने पर विचार-विमर्श हो रहा है, लेकिन फिलहाल ऐसा करने में इन कंपनियों में निवेश की मूल्यांकन प्रक्रिया आड़े आ रही है। यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से स्टार्टअप में निवेश पर बातचीत कर रही है। 
पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के चेयरमैन ने कहा, ‘एलआईसी और ईपीएफओ के सभी निवेश बाजार मूल्य आधारित नहीं हैं। म्युचुअल फंडों की तरह हमें दिन के अंत में फंडों का मू्ल्य देना होता है, जो नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) कहलाता है। स्टार्टअप का दैनिक आधार पर मूल्यांकन नहीं होता है।’ उन्होंने कहा कि इस समय पीएफएम के सभी निवेशों का मूल्यांकन दिन के अंत में होता है। उन्होंने कहा, ‘यह बुनियादी चीज है। अगर पीएफएम अभी स्टार्टअप में निवेश करते हैं तो इसे संभालना उनके लिए बहुत मुश्किल होगा। इसके अलावा स्टार्टअप में निवेश का जोखिम भी है।’ उन्होंने कहा कि पीएफआरडीए इस बारे में सरकार एक या दो बार बता दिया है। उन्होंने कहा, ‘अगर इसका समाधान हो जाता है तो हम स्टार्टअप में निवेश पर विचार कर सकते हैं।’

पीएफआरडीए को इससे पहले पीएफएम को रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट्स) और इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट (इनविट) द्वारा जारी बॉन्डों में निवेश की मंजूरी देने में दिक्कतें थीं। बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘हमने रीट्स और इनविट द्वारा जारी बॉन्डों में निवेश को लेकर काफी विचार-विमर्श किया था। शुरुआत में हम उन्हें लेकर भी सुनिश्चित नहीं थे क्योंकि उन्हें पहले प्रतिभूति नहीं माना जाता था। अगर संयोग से डिफॉल्ट हो गया तो वसूली की प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लेख नहीं था।’ उन्होंने कहा, ‘हमने पेंशन निधि प्रबंधकों को रीट्स और इनविट के बॉन्डों तथा डिबेंचर में भी निवेश करने की अनुमति दी थी। इसी तरह अगर स्टार्टअप के लिए कुछ आता है तो हम उस पर विचार करेंगे।’
हालांकि पीएफआरडीए ने पेंशन कोष प्रबंधकों को स्टार्टअप के आईपीओ में निवेश करने से नहीं रोका है। बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘हमने उन्हें सभी श्रेणी के आईपीओ में निवेश करने की अनुमति दी है, बशर्ते वह दो मूल शर्तों को पूरा करते हों। पहला निर्गम का आकार कम से कम 500 करोड़ रुपये होना चाहिए और दूसरा उस शेयर का मूल्यांकन न्यूनतम मूल्य दायरे के आधार पर आईपीओ के बाद बीएसई या एनएसई की शीर्ष 200वें कंपनी से अधिक होना चाहिए।’

इन शर्तों के अलावा प्राधिकरण कंपनी के मुनाफे, लाभांश भुगतान आदि पर ध्यान नहीं दिया है। ऐसे में पेंशन कोष प्रबंधक घाटे वाली कंपनियों के आईपीओ में भी उनके मूल्यांकन का आकलन कर निवेश कर सकते हैं और इस बारे में उन्हें खुद निर्णय लेना होगा। उन्होंने कहा कि पीएफआरडीए ने करीब 15 दिन पहले ही पेंशन कोष प्रबंधकों को आईपीओ में निवेश की अनुमति दे दी थी। लेकिन अब तक किसी ने भी आईपीओ में निवेश नहीं किया है।
बंद्योपाध्याय ने कहा कि बाजार में आईपीओ की होड़ है, ऐसे में पेंशन कोष प्रबंधक मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए निवेश का निर्णय ले सकते हैं। पीएफआरडीए ने हाल ही में पेंशन कोष प्रबंधकों को बीएसई और एनएसई के शीर्ष 200 शेयरों में भी निवेश की अनुमति दी है।

First Published - August 18, 2021 | 12:29 AM IST

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